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________________ ज्ञानविमल १८९ तीर्थमाला--(ढाल ८, सं० १७५५ ज्येष्ठ शुक्ल १०) इस तीर्थमाला में कवि ने कई तीर्थों के भ्रमण का विवरण दिया है जैसे सिद्धपुर महशाणा, अहमदाबाद, सूरत आदि का भौगोलिक दृष्टि से अच्छा वर्णन किया है। रचनाकाल -संवत सतर पंचावने सुं सफल मनोरथ सिद्ध, सा। ज्येष्ठ शुक्ल दसमी दिने, सु तीरथमाला कीध, सा। यह प्राचीन तीर्थ संञ्झाय पृ० १३२-१४० पर प्रकाशित है। रणसिंह राजर्षि रास (३८ ढाल ११२२ कड़ी, सं० १७६५ से पूर्व) आदि--सकल समिहित सुरलता सींचन नव जलधार; श्री शंखेश्वर पास जी, प्रणमी प्राण अधार । अन्त- रणसिंह नरिंद ने हित हेतें हो करी उपदेश माल; तेह संबंध प्रकासीउ, सुणी समझो हो भवि बालगोपाल; साधु। इस रास में भी तपागच्छ के विजयप्रभ की परम्परा में विमलशाखा के विनयविमल और धीरविमल की अभ्यर्थना है। इन प्रमुख रचनाओं के अलावा इन्होंने चन्द्रकेवली रास अथवा आनंद मंदिर रास (१११ ढाल २३९४ कड़ी सं० १७७० माह शुक्ल १३, राधनपुर); अशोकचन्द्र रोहिणी रास (३१ ढाल सं० १७७४ मागसर शुक्ल ५ सूरत (सैदपुर); सुसढ़ रास २२ ढाल, आदि अनेक रासों की रचना की है। इनमें से प्रथम रास भीमशी माणक द्वारा और दूसरा रास आनंद काव्य महोदधि मौक्तिक १ में प्रकाशित है। आपने अनेक स्तुतियाँ और स्तवन आदि लिखे हैं जिनमें वीस स्थानक स्तवन (८१ कड़ी १७६६ पौष कृष्ण ८ बुधवार, सूरत) प्राचीन स्तवन रत्नसंग्रह भाग १ में प्रकाशित है। अकदश गणधर स्तवरूप देववंदन 'देववंदन माला' में प्रकाशित है। मौन अकादसी नो देववंदन भी देववंदनमाला में ही प्रकाशित है। दिवाली देववंदन, कल्याण मंदिर स्तोत्र, दस विधयतिधर्म स्वाध्याय, सुदर्शन केवली श्रेष्ठि संज्झाय आदि कई रचनायें आपकी उपलब्ध हैं। इनमें से कल्याणमंदिर स्तोत्र और यतिधर्म भी प्रकाशित हो चुकी है। सुदर्शनकेवली संज्झाय प्राचीन सज्झाय संग्रह तथा पदसंग्रह में भी प्रकाशित है। आठ गुण पर संज्झाय (स्वोपज्ञ टव्वा सहित) और कई छोटे मोटे संज्झाय आपने लिखे हैं। पंदर तिथि अमावस्यानी १६ स्तुति और शांतिजिन जन्माभिषेक कलश प्राचीन स्तवन रत्नसंग्रह भाग १ में प्रकाशित रचनायें हैं। कल्पसूत्र व्याख्यान भास अथवा ढालबद्ध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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