SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १५ ) विक्रम ४५७, विजयसूरि ४५७, विजयदेव सरि ४५७, विजयजिनेन्द्र सूरि शिष्य ४५७-५८, विद्याकुशल ४५८, विद्यारुचि ४५८-५९, विद्याविलास ४५९-६०, विद्यासागर ४६०, विद्यासागर दिग०) ४६०-६१. विनयकुशल ४६१, विनयचंद्र ४६१-६४, विनयलाभ(बालचंद) ४६४-६६, विनयविजय (उपाध्याय) ४६६-४६९, विनयशील ४६९-७०, विनयसागर ४७१, विनयसागर II ४.१, विनीतकुशल ४७१-४७३, विनीतविजय ४७३, विनीत विमल ४७३-७४, विनोदीलाल ४७५-४७९, विमलरत्न सरि ४७९, विमलविजय ४७९-४८०, विमल सोमसरि ४८१, विबुधविजय ४८१-८२, विबुधविजय I[ ४८२-८३, विवेकविजय ४८३, विवेकविजय II ४८२-८५, (साध्वी) विवेकसिद्धि ४८६, विश्वभूषण ४८६.४८८, वीरविजय ४८८-४९०, वीरजी ४९०, वीरचंद ४९१, वीरविमल ४९१-९२, वृद्धिविजय ४९२-९४, वृद्धिविजय II ४९४ ९५, वेणीराम ४९५-९६, शांतसौभाग्य ४९७, शांतिदास ४९७, शांतिविजय ४९७-४९८, शामलदास ४९८, श्यामकवि ४९८, शिरोमणिदास ४९४५००, शिवदास ५००-०१, शीलविजय ५०१, शुभचन्द्र ५०२, मुनि शुभचंद्र ५०३, शुभविजय ५०४, श्रीदेव ५०४-०६, श्रीपति ५०६, श्री सोम ५०६. संतोषविजय ५०७, संघसोम ५०७, संघरुचि ५०८, सकलचंद्र ५०८, सकलकीति शिष्य ५०८, सभाचंद ५०९. सत्यसागर ५००, समयनिधान ५११, समयमाणिक्य ५११, समयहर्ष ५१२, सिद्धितिलक ५१३, सिद्धिविजय ५१३, स्थिरहर्ष ५१४, सिंह ५१४, सिंहविमल ५१४, सुखदेव ५१५, सुखलाभ ५१६, सुखविजय ५१६, सुखरतन ५१६, सुखसागर I ५१७, सुखसागर II ५१८-५२०, सुंदर ५२०, सुबुद्धिविजय ५२०, सुमतिधर्म ५२१, सुमतिरंग ५२१-५२३, सुमतिवल्लभ ५२३-२४. सुमतिविजय ५२५, सुमतिविमल ५२६, सुमतिसेन ५२६, सुमतिहंस ५२७, सुरचंद ५२८, सुरजी मुनि ५२९, सुरजी (सूरसागर) ५३०, सुरविजय ५ १, सूर ५३२, सुरेन्द्रकीर्ति मुनीन्द्र ५३३, सुरेन्द्रकीर्ति II ५३४, सुरेन्द्रकीर्ति III ५३५, सुरेन्द्रकीति IV ५३५, सेवक ५३५, सौभाग्यविजय ५३६, सौभाग्यविजयII ५३७, हंसरत्न ५३८-३९. हंसराज ५४०, हर्षकीर्ति ५४१, हरषचंद साधु ५४१, हर्षचंद ५४१, हर्षनिधान ५४१, हर्षविजय ५४२, हर्ष ५४२, हरिकिसन ५४२, हरिराम ५४२, हस्तरुचि ५४३, हिम्मत ५४४, हीराणंद-हीरानंद ५४४, हीराणंद-हीरमुनि ५४५, हीर उदयप्रमोद ५४६, हीरसेवक ५४६, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy