SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 378
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषयानुक्रम १६३ २८२ मतिज्ञान या सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष १३१ श्रुतके अक्षरात्मक-अनक्षरात्मक भेदों. मनःपर्ययज्ञान १६२ का विवेचन २८७ मनःपर्ययके भेद १६२ श्रुतके भेदोंका विवेचन २७८ मनःपर्ययके सम्बन्धमें श्वेताम्बर मान्यता श्रुतज्ञानके विषयमें अकलंकदेवका मत २८७ मल्लवादी और सुमति २५ श्रुतज्ञानके विषय में विद्यानन्दको समीक्षा माणिक्यनन्दि ३८ २८० मिथ्याज्ञानके तीन भेद ७३ श्रुतज्ञानके सम्बन्धमें श्वेताम्बरमान्यता मीमांसकसम्मत प्रमाणभेद ११६ यशोविजय ४३ श्रुतज्ञानके श्वेताम्बरसम्मत भेद २९२ योग्यताविचार ५४ सग्रहनय ३३३ वादिदेवसूरि ४२ वादिराज ४१ संस्कृत शब्दोंको ही अर्थका वाचक विद्यानन्द ३६ माननेवाले मीमांसकोंकी समीक्षा २७१ विपरीतार्थख्याति ८४ सकलप्रत्यक्ष १६४ विपर्ययज्ञानके सम्बन्धमें भारतीय दार्श. सन्निकर्षवाद ५३ निकोंके मतभेदोंकी समीक्षा ७३ सन्निकर्षकी समीक्षा ५४ विपुलमति मनःपर्यय १६३ सप्तभंगी ३०१ विवेकाख्याति ७३ सप्तभंगीका उपयोग ३२५ वेदके अपौरुषेयत्वको समीक्षा २६२ सप्तभंगोके प्रथम द्वितीय भंगका व्यञ्जनावग्रह १३२ विवेचन ३०२ व्यवहारनय ३३४ सप्तभंगोके तृतीय भंगका विवेचन ३१४ शब्दके नित्यत्वकी समीक्षा २५४ सप्तभंगोके चतुर्थ, पंचम और षष्ठ शब्दको प्रमाण न माननेवाले बौद्धोंको भंगका विवेचन ३१७ समीक्षा २३६ सप्तभंगोके सातवें भंगका विवेचन ३१८ शब्दप्रमाणको अनुमानसे भिन्न न समभिरूढनय ३३५ माननेवाले वैशेषिकोंको समीक्षा २३३ सर्वज्ञत्वसमोक्षा १६५ शब्दनय ३३५ सर्वज्ञताके विरोधमें कुमारिलका पक्ष शब्दार्थके विषयमें मोमांसककी समीक्षा १६५ २४९ सर्वज्ञताके समर्थन में विद्यानन्दकी युक्तियाँ श्रीदत्त २१ १६८ श्रुतके दो उपयोग २९७ सर्वज्ञताके सम्बन्धमें शंका-समाधान १७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002089
Book TitleJain Nyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1966
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Nyay, & Epistemology
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy