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सहायक-ग्रन्थ सूची : ५३३ तत्त्वार्थसूत्र-सं०-६० कैलाशचन्द्र शास्त्री भा० दि० जैन संघ, मथुरा। तिलोयपण्णत्ति (भाग १-२)--यतिवृषभाचार्य, सं०-डॉ० ए० एन० उपाध्ये,
डा० हीरालाल जैन, जीवराज जैन ग्रन्थमाला, सोलापुर, १९४३. तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा-भाग १-२-३ डा० नेमिचन्द्र
ज्योतिषाचार्य, अ० भा० दि० जैन विद्वत् परिषद्, सागर, १९७४. तुरीयातीतोपनिषद्. तैत्तरीय उपनिषद्--(१०८ उपनिषद्) सं० वा० ल० शास्त्री. प्र० पाण्डरंग
जावजी, बम्बई १९३२. त्रिलोकसार-नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती, मा० दि० जै० ग्रंथमाला, बम्बई,
वी० सं०२४४४. दसण पाहुड-अष्ट पाहुड के अन्तर्गत. दत्तात्रेय सहस्रनाम. दर्शन और चिन्तन-खण्ड दो, पं० सुखलाल संघवी, मुख्य सं०-५० दलसुखभाई
मालवणिया, प्रका० पं० सुखलालजी सम्मान समिति अहमदाबाद,
१९५७. दशवैआलियं-सं०-मुनि नथमल, जैन विश्वभारती, लाडनू १९७४. दशवैकालिक-अगत्स्यसिंह चूणि (दसवेआलियं, प्रका० जैन विश्वभारती, लाडनू
से साभार उद्धृत). दशवे कालिक एक समीक्षात्मक अध्ययन-आ० तुलसी, जैन श्वे० तेरापंथी
महासभा, कलकत्ता, वि० सं० २०२३. दशवकालिकचूर्णि-जिनदासगणि, दे० ला० जवेरी, सूरत, १९३३. दशवकालिकनियुक्ति-भद्रबाहु द्वितीय कृत, दे० ला० जैन पुस्तकोद्धारक भण्डार,
बंबई, १९१८. दशवकालिक सूत्र-अनु० घेवरचन्द बांठिया, अ० भा० साधुमार्गी संघ, सैलाना,
१९६४. दशवैकालिक हरिभद्रीय वृत्ति-जैन पुस्तकोद्धार फंड, बंबई, १९१८. दशाश्रुतस्कन्ध--सं० अनु०-आत्माराम महाराज, जैन शास्त्रमाला, लाहौर, १९३६. दिगम्बर मुनि--आर्यिका ज्ञानमती, दि० जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर
वी० नि० सं० २५०७. दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि-बाबू कामताप्रसाद जैन, दि० जैन समाज,
अमीरगंज, १९७०. दीघनिकाय पालि-(१ सीलक्खन्धवग्गो) प्रधान संपा०-भिक्खु जगदीश कश्यप,
विहार राजकीय पालि प्रकाशन मण्डल, नालन्दा १९५८.
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