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५३० : मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन चंदगविज्झं पइण्णयं-श्री केसरवाई ज्ञानमंदिर C/o नगीनभाई हाल पाटण
(उ० गु०) १९४१. चतुःशरण सूत्र-आगमोदय समिति, बम्बई, वि० सं० १९८३. चन्दाबाई (ब्र० पं०) अभिनन्दन ग्रन्थ -अ०भा० दि० जैन महिला परिषद, आरा
१९५४. चन्द्रसागर स्मृतिग्रन्थ-प्र० सं०-आयिका सुपार्श्वमती, प्र०-मिश्रीलाल बाकली
___वाल, गौहाटी, वी० नि० सं० २५०२. चरणानुयोग-प्रवेशिका-पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री, वीरसेवा मन्दिर ट्रस्ट,
वाराणसी, १९७४. चारित्र चक्रवर्ती-पं० सुमेरचन्द दिवाकर, देशभूषण ग्रन्थमाला, कोथली,
१९७२. चारित्रपाहुड-माणिक चन्द्र दि० जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, वि० सं० १९७७. चारित्रप्रकाश-धनमुनि (प्रथम), श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, बालोतरा
(राजस्थान) वि० सं० २०२३. चारित्रभक्ति-(कुन्दकुन्द भारती के अन्तर्गत “भक्ति संग्रह") चारित्रसार-चामुण्डराय, मा० च० दि० जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, वि० सं०
१९७४. छान्दोग्योपनिषद्-गीता प्रेस, गोरखपुर, वि० सं० २०१३. जयधवला सहितं कसायपाहुडं-(भाग १)सं०-५० फूलचन्द जी शास्त्री, भा०
दि० जैनसंघ, चौरासी, मथुरा, १९४४, जिनरत्नकोश-हरिदामोदर वेलणकर, प्रका० भण्डारकर प्राच्य विद्या व शोध
मंदिर, पूना १९४४ ई० जिनसहस्रनाम-श्रुत सागरीयटीका, सं०-५० हीरालाल सि० शास्त्री,
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९४४. जीतकल्पसूत्र-जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण , जैन साहित्य सं० समिति अहमदाबाद,
१५३६. जीतकल्पभाष्य-स्वोपज्ञ भाष्यसहित-जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, प्रका० श्री बालचंद्र
केशवलाल मोदी, अहमदाबाद वी० नि० सं० २४६४. जीव-अजीव-मुनि नथमल जी प्र०-जैन श्वे० ते. महासभा, कलकत्ता, २४७५. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज-डा० जगदीशचन्द्र जैन, चौखम्भा
विद्याभवन, वाराणसी, १९६५. जैन आचार-डा० मोहनलाल मेहता, पाश्वनाथ विद्याश्रम वाराणसी, १९६६.
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