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जइ सि रूवेण वेंसमणो, ललिएण नलकूबरो तहा वि ते न इच्छामि, जइ सि सक्खं पुरदंरो उत्तराध्ययन सूत्र, २२४१
इत्थिभावो नो कि कयिरा चित्तम्हि सुखमाहिते त्राणम्हि वत्तमानम्ह सम्मा धम्मं विपस्सतो
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थेरीगाथा, गाथा,
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