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विचार-विमर्श किया, उन मित्रों में डॉ०अशोक कुमार सिंह, डॉ०शिवप्रसाद एवं डॉ०वीरेन्द्रनाथ पाण्डेय का मैं सहृदय आभारी हूँ। ___ हमारे सहयोगी एवं पुस्तकालयाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंह का भी मैं आभारी हूँ जिनसे समय-समय पर पुस्तकालयीन सहायता मिलती रही।
इस ग्रन्थ में हमारे जो निष्कर्ष हैं, उनकी अपनी सीमाएँ हो सकती हैं और उनका मुझे बोध भी है। इस कृति का सही मूल्यांकन तो सुधी पाठकगण ही कर सकेंगे, मैं आभारी रहूँगा उन विज्ञ पाठकों का जो इस ग्रन्थ के सन्दर्भ में अपने बहुमूल्य सुझावों से मुझे अवगत कराने का कष्ट करेंगे।
भवदीय
दीपावली ३०, अक्टूबर, १९९७ पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय
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