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________________ ४० सिद्धसेन दिवाकर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका आचार्य सिद्धसेन द्वारा रचित बत्तीस-बत्तीस पद्यों की बत्तीस रचनाएँ हैं, जिनमें २१ उपलब्ध हैं। उपलब्ध द्वात्रिंशिकाएँ भावनगर की जैनधर्म प्रसारक सभा से वि०सं०१९६५ में प्रकाशित हैं। उनमें जिस क्रम में बत्तीसियाँ हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उसी क्रम में उनकी रचना नहीं हुई होगी। बाद में लेखकों या पाठकों ने वह क्रम निश्चित किया होगा। इन बत्तीसियों में होने तो चाहिए ३२-३२ पद्य पर किन्हीं-किन्हीं में पद्यों की संख्या कम है। बत्तीस-बत्तीस के हिसाब से बाइस बत्तीसियों के कुल ७०४ पद्य होने चाहिए किन्तु ६९५ पद्य ही उपलब्ध हैं। २१वीं बत्तीसी में एक पद्य अधिक है, तो ८, ११, १५ और १९वीं बत्तीसियों में पद्यों की संख्या ५२ से कम है। पद्यों की कमोबेश संख्या का कोई स्पष्ट कारण उपलब्ध नहीं होता।३० ___ बत्तीसियों की विषयवस्तु, भाषा, शैली, आदि को देखते हुए ऐसा लगता है कि ये उस युग की रचनाएँ होंगी जब संस्कृत भाषा का विकास अपने चरमोत्कर्ष पर रहा होगा। जिस समय वैदिक दर्शनों के साथ-साथ महायान आदि बौद्धधर्म की शाखाओं के अनुयाइयों में पुरजोर वाद-विवाद होता रहा होगा। भाषा-शैली बत्तीसियों की भाषा संस्कृत है। पद्यों का बन्ध कालिदास के पद्यों की तरह सुसंश्लिष्ट है। बत्तीसियों में अनुष्टुप, उपजाति, पृथ्वी, आर्या, पुष्पिता,वसन्ततिलका, मन्दाक्रान्ता एवं शालिनी आदि १७ छन्दों का उपयोग किया गया है। टीकाएँ __ उपलब्ध २१वी द्वात्रिंशिका पर सोलहवीं शती के उदयसागर की टीका है। इसके अतिरिक्त न्यायावतार जिसे कतिपय प्रबन्ध २२वी द्वात्रिंशिका के रूप में परिगणित करते हैं, पर हरिभद्र (ई० सन् ७४०-७८५) एवं सिद्धर्षि (नवीं शती) की टीकाएँ मिलती हैं। द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका का 'विंशतिद्वात्रिंशिका' नाम भी मिलता है। विषयवस्तु विषयवस्तु की दृष्टि से विचार करने पर प्राप्त बत्तीसियों को स्तुत्यात्मक, समीक्षात्मक एवं वर्णनात्मक इन तीन वर्गों में रखा जा सकता है। प्रथम पाँच, ग्यारहवीं एवं इक्कीसवीं ये सात स्तुत्यात्मक, छठी एवं आठवीं समीक्षात्मक तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002085
Book TitleSiddhsen Diwakar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
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