SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय सिद्धसेन दिवाकर जैन दार्शनिक साहित्य के महत्त्वपूर्ण आचार्य रहे हैं। उन्होंने न केवल सन्मतिसूत्र जैसे दार्शनिक ग्रन्थों की रचना की अपितु अपनी रचनाओं में कई भक्तिपरक स्तोत्रों को भी स्थान दिया। सिद्धसेन के सत्ता समय एवं उनकी रचनाओं के सम्बन्ध में विगत कुछ वर्षों से आधुनिक विद्वानों ने ऊहापोह की स्थिति पैदा कर दी है। उनके नाम पर चढ़ी उनकी रचनाएँ यथा- सन्मतितर्क, न्यायावतार, द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका, कल्याणमन्दिरस्तोत्र आदि रचनाएँ उन्हीं की हैं या किसी अन्य आचार्य द्वारा रचित हैं, इस सम्बन्ध में विद्वानों में मतवैभिन्न रहा है। डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने सिद्धसेन दिवाकर की उपलब्ध सभी रचनाओं का सम्यक् अनुशीलन कर अपना निष्कर्ष इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है। हम डॉ०पाण्डेय के आभारी हैं कि उन्होंने इस कृति का प्रणयन कर इसे प्रकाशनार्थ हमें दिया। __इस ग्रन्थ की प्रूफ रीडिंग से लेकर प्रकाशन सम्बन्धी सम्पूर्ण दायित्व का निर्वहन डॉ० पाण्डेय ने स्वयं किया है एतदर्थ वे निश्चय ही धन्यवाद के पात्र हैं। सुन्दर अक्षर सज्जा के लिए सरिता कम्प्यूटर्स एवं सुरुचिपूर्ण मुद्रण के लिए वर्द्धमान मुद्रणालय, वाराणसी भी धन्यवाद के पात्र हैं। आशा है यह कृति जैन धर्म-दर्शन पर शोधरत शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। भवदीय भूपेन्द्र नाथ जैन मानद सचिव पाश्वर्नाथ विद्यापीठ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002085
Book TitleSiddhsen Diwakar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy