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जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य २४. नेमिनाथ चरित्र जयमल25
१७५७ ई० २५. नेमिनाथ रास रतनमुनि
१७६७ ई० २६. नेमनाथ रास विजयदेवसूरि27 २७. नेमिचंद्रिका मनरंगलाल पल्लीवाल28 १८२३ ई० २८. प्रद्युम्न चरित मुन्नालाल26 २६. कृष्ण की रिद्धि बुद्धमल30 ३०. भगवान नेमनाथ और मुनि चौथमलजी31 १९४१ ई०
पुरुषोत्तम कृष्ण ३१. भगवान अरिष्टनेमि श्री देवेंद्रमुनि जी शास्त्री32 १९७१ ई०
और कर्मयोगी श्रीकृष्ण
एक अनुशीलन अमम स्वामी चरित्र--
__ "अमम स्वामी चरित्र" शीर्षक से मुनिरत्नसूरि द्वारा वि० सं० १२५२ में रचना की गयी है । इस ग्रंथ में श्रीकृष्ण का जीवन चरित विस्तार से वर्णित है जो अमम स्वामी के नाम से भाबी तीर्थकर होने वाले हैं। ग्रंथ में श्रीकृष्ण के पूर्वभवों के वर्णन भी हैं-यह इस ग्रंथ की विशेषता है। सामान्यतः श्रीकृष्ण के पूर्वभवों को या तो अन्य ग्रंथों में वर्णित ही नहीं किया गया या उनका अतिसंक्षिप्त वर्णन ही किया गया है।
__ इन मौलिक रचनाओं के अतिरिक्त कतिपय अनुवाद ग्रंथ भी हैं। मूलरूप में अन्य भाषाओं में रचित प्रमुख ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया गया है। प्रमुख अनुवादित ग्रंथों के नाम इस प्रकार हैं :
१५. अप्रकाशित, प्रति उपलब्ध विनयचन्द ज्ञान भण्डार, जयपुर २६.
दिगंबर जैन मन्दिर ठोलियान, जयपुर " २७. " २८. २६. अप्रकाशित, दिगंबर जैन मन्दिर ठोलियान, जयपुर ३०.
विनयचन्द ज्ञान भण्डार जयपुर
सिरेमलजी नन्दलालजी पीतलिया, सिहोर केण्ट ३२. प्रकाशित, तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर
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