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२२८ जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगी नय की आधुनिक व्याख्या लघीयत्रय अपरनाम अकलंक ग्रन्थत्रयम्-संपा०-न्यायमुकुदचन्द्र, सिंधी
जैन ग्रन्थमाला, अहमदाबाद, कलकत्ता, १९३९ । वैशेषिकसूत्रम्-कणाद् चन्द्रानन्द, संपा०-मुनिश्री जम्बूविजय जी, ओरि
यन्टल इन्स्टिट्यूट, बड़ौदा, १९६१ । श्री निम्बार्कभाष्यम् (ब्रह्मसूत्रम्)-श्री निम्बार्क, जय कृष्णदास हरिदास
गुप्त, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, बनारस सिटी,
वि० १९८९ । श्रीमद्ब्रह्मसूत्राणुभाष्यम्-श्रीमद्वल्लभाचार्य, बुटाला एण्ड कम्पनी,
देहली, १९८०। श्रीमद्भगवद्गीता-प्रका०-मोतीलाल जालान, गीता प्रेस, गोरखपुर,
संवत् २०२८ । श्लोकवार्तिक (शर्करिका)- भट्टपुत्र जयमिश्र, सं. चि. कुञन् राजः,
विश्वविद्यालय मद्रपुरी, १९४६ । श्वेताश्वतरोपनिषद्-डॉ. तुलसीराम शर्मा, ईस्टर्न बुक लिंकर्स,
दिल्ली, १९७६ । संयुत्तनिकाय पालि-भिक्खु जगदीश कास्यप, बिहार राजकीय पालि
प्रकाशन, मण्डल, १९५९ । सांख्यकारिका-ईश्वर कृष्ण, व्या०-रमाशकर त्रिपाठी, बालकृष्ण त्रिपाठी,
भदैनी, वाराणसी, १९७० । सन्मतितर्कप्रकरणम्-सिद्धसेन दिवाकर, संपा०/अनु० पं० सुखलाल जी
और पं० बेचर दास, प्रका०-विठ्ठलदास मगनलाल कोठारी
गुजरात विद्यापीठ कार्यालय, अहमदाबाद, संवत् १९८० । सन्मति प्रकरण-पं० सुखलाल जी और बेचरदास, अनु० शान्तिलाल म०
जैन, ज्ञानोदय ट्रस्ट पास, अहमदाबाद (गुजरात),
१९६३ । सप्तभंगोतरंगिणी-विमल दास, श्रीमद्राजचन्द्र आश्रम, अगास (गुजरात),
१९७७ । सप्तभंगी-नय-प्रदीप प्रकरणम् –यशोविजय गणिजी, श्री राजनगरस्थजैन
प्रकाशक सभायाः कार्यवाहक श्रेष्ठी "ईश्वरदास मूलचन्द" इतिनामा, कीकाभट्टनी पोल, अहमदाबाद, संवत् २००३ ।
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