________________
१९२ जैन एवं बौद्ध शिक्षा-दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन (३९) यदि धूल लिये हुए पुरवा हवा चल रही हो तो पूर्व की खिड़कियाँ बन्द कर
देना। (४०) यदि जाड़े का दिन हो तो दिन में खिड़की खुला रखकर रात को बन्द कर
देना। (४१) यदि गर्मी का दिन हो तो दिन को खिड़की बन्द कर रात को खोल देना। (४२) आंगन मैला हो, अग्निशाला मैली हो तथा शौचालय गंदा हो तो साफ करना। (४३) यदि पानी न हो तो पानी भरकर रखना। (४४) यदि शौचालय की मटकी में जल न हो तो भरकर रखना। (४५) यदि गुरु के मुख पर उदासी छायी हो तो उसे हटाना या उनसे धार्मिक कथा
करना। (४६) गुरु को यदि शंका उत्पन्न हुई हो तो उसे दूर करना या उनसे धार्मिक कथा करना। (४७) गुरु में किसी विषय के प्रति उल्टी धारणा उत्पन्न हुई हो तो उसे छुड़ाना या
छुड़वाना या धार्मिक कथा करना। (४८) यदि गुरु ने परिवास दण्ड देने योग्य बड़ा अपराध किया हो तो संघ को सूचित
करना जिससे संघ उपाध्याय को परिवास दे सके। (४९) यदि उपाध्याय दोष के कारण मूलाय-प्रतिकर्षण के योग्य हो तो शिष्य को कोशिश
करनी चाहिए जिससे संघ उपाध्याय का मूलाय-प्रतिकर्षण करे। (५०) यदि उपाध्याय मानवत्व के योग्य हों, आह्वान के योग्य हों और संघ उनको
तज्जनीय, नियस्स, पब्बाजनीय, परिसारणीय या उरक्षेपणीय कर्मदण्ड देना चाहे तो प्रयत्न करना चाहिए जिससे कि संघ उपाध्याय को दण्डित न कर सके
या हलका दण्ड दे। (५१) यदि संघ ने उपाध्याय को तज्जनीय, नियस्स, पब्बाजनीय, परिसारणीय या
उरक्षेपणीय दण्ड दिया हो तो उन्हें समझाना चाहिए जिससे उपाध्याय ठीक से रहें, लोभ मिटा दें, निस्तार के अनुकूल बर्ताव करें जिससे कि संघ उनके दण्ड
को माफ कर दे या कम कर दे। (५२) यदि उपाध्याय का चीवर धोने लायक है तो उनका चीवर धोना चाहिए। (५३) यदि उपाध्याय का चीवर बनाने तथा रंगने लायक हो तो वैसा करना।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org