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२ जैन एवं बौद्ध शिक्षा-दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन
और काम रूप फल से युक्त सम्पदाओं की परम्परा उत्पन्न करती है। विद्या ही बन्धु है, विद्या ही मित्र है, विद्या ही कल्याण करनेवाली है, विद्या ही साथ-साथ जानेवाली सम्पदा है और विद्या ही सब प्रयोजनों को सिद्ध करनेवाली है। ५ शिक्षा इहलोक और परलोक दोनों में पुरुषार्थों को सिद्ध करती है। इस प्रकार सम्यक्-शिक्षा वही है जो मानवीय दुःखों के स्वरूप को समझे, उनके कारणों का विश्लेषण करे, उनके निवारण के उपाय खोजे और उन उपायों का प्रयोग करके दुःखों से मुक्त कराये। 'शिक्षा' का शाब्दिक अर्थ
'शिक्षा' शब्द संस्कृत के 'शिक्ष' धातु में 'अ' प्रत्यय लगने से बना है जिसका अर्थ है 'सीखना'। लेकिन जब हम 'शिक्षण' शब्द का प्रयोग करते हैं तो इसका अर्थ केवल अध्यापन ही नहीं होता वरन् सीखना भी होता है क्योंकि शिक्षण शब्द की निष्पत्ति भी 'शिक्ष' धातु से हुई है। इसलिए शिक्षण शब्द का प्रयोग दोनों अर्थों अर्थात् 'सीखना और सिखाना' में होता है।
अंग्रेजी में शिक्षा के लिए एजुकेशन (Education) शब्द का प्रयोग किया जाता है। एजुकेशन (Education) शब्द लैटिन भाषा के एडुकेटम (Educatum) शब्द से बना है। एडुकेटम शब्द उसी भाषा के एडुको (Educo) अर्थात् ए (E) और डको (Duco), दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है 'अन्दर से निकालकर देना'। इस प्रकार एजुकेशन का अर्थ होता है- 'आन्तरिक शक्तियों को बाहर की ओर निकालना या निकालने की प्रक्रिया।'
दूसरे विश्लेषण के अनुसार 'एजुकेशन' (Education) शब्द अंग्रेजी भाषा के एडुकेयर (Educare) से बना है जिसका अर्थ पालन-पोषण करना या विकसित करना होता है।
हिन्दी में शिक्षा के लिए 'विद्या' शब्द का भी प्रयोग किया जाता है, जिसका हम पहले वर्णन कर चुके हैं। यहाँ हम विद्या शब्द के शाब्दिक अर्थ को देखेंगे। 'विद्या' संस्कृत-भाषा का शब्द है और इसकी निष्पत्ति 'विद्' धातु से हुई है। विद् धातु के अनेक अर्थ होते हैं१. ज्ञान के अर्थ में 'वेत्ति' 'वेद' आदि शब्द इसी से बनते हैं। २. सत्ता के अर्थ में विद्यते रूप चलता है और “विद्यमान' आदि शब्द बनते हैं। ३. लाभ के अर्थ में विदति-ते रूप सम्पन्न होता है। ४. विचार या सोचने-विचारने के अर्थ में विङ्क्ते रूप चलता है।
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