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________________ ९४ जैन एवं बौद्ध शिक्षा दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन (१४) पुराण । (१५) इतिहास इतिहास की भी पढ़ाई होती थी । १३५ १३६ नीतिशास्त्र, १३७ गन्धर्व शिल्प, १३८ आगमशास्त्र, शास्त्रार्थ की शिक्षा १४० सार्थवाह १४१ की शिक्षाएँ भी दी जाती थीं। (१६) नीति । (१७) तर्क- जिसे हेतु विद्या भी कहते हैं। (१८) वैद्यक । ――― १. २. ये अट्ठारह विद्याएँ जातक में वर्णित हैं। इनके अतिरिक्त सूत्रों के अन्तर्गत तीनों पिटक अर्थात् 'सुत्तपिटक', 'विनयपिटक' तथा 'अभिधम्मपिटक' की शिक्षा दी जाती थी । १४२ मुक्तकण्ठ सूत्रपाठ किया जाता था। | १४३ मन्त्रों की शिक्षा के साथ ही साथ उन्हें क्रम से पढ़ाया भी जाता था । १४४ कुछ सूत्रों के नाम निम्नलिखित हैं- 'धोतक सकुणोवादसूत्र',१४५ १४६ 'महावग्गसूत्र', 'मेत्तसूत्र', १४७ ‘आनन्दपरियायसूत्र’१४९ आदि। ‘महागोविन्दसूत्र’,१४८ अल्तेकर के मत में अट्ठारह विद्याएँ (शिल्पों) निम्नलिखित हैं १५० (१) वाद्य (२) गीत (४) चित्रकला (५) नक्षत्रकर्म (७) वास्तुकला (८) तक्षण (१०) पशुपालन (११) व्यापार (१३) गजाश्व (१४) कानूनशास्त्र (१६) इन्द्रजाल (१७) क्रीड़ा और इन विषयों के अतिरिक्त चिन्तामणि शिक्षा, १३९ तुलना जैन एवं बौद्ध दोनों परम्पराओं के अध्ययन से जो भिन्नताएँ और समानताएँ दृष्टिगोचर होती हैं, वे निम्नलिखित हैं जैन एवं बौद्ध दोनों ही शिक्षाएँ निवृत्तिप्रधान हैं। Jain Education International (३) नृत्य (६) अर्थशास्त्र (९) वार्ता (१२) आयुर्वेद (१५) युद्धकला और धनुर्वेद (१८) मणिरागाकर ज्ञान, आदि। दोनों ही शिक्षाओं का उद्देश्य मानव व्यक्तित्व का विकास करना है। विकास का अभिप्राय व्यक्ति के अन्तरंग एवं बाह्य सभी गुणों के विकास से है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002081
Book TitleJain evam Bauddh Shiksha Darshan Ek Tulnatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2003
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size10 MB
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