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________________ प्राक्कथन 'कौमुदीमित्रानन्द' में प्रतिपादित आचार्य रामचन्द्रसूरि की जैन जीवनदृष्टि कालिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र के पट्टशिष्य रामचन्द्रसूरि ने अनेक संस्कृत नाटकों की रचना करके संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अवदान दिया है। 'कौमुदीमित्रानन्द' भी उन्हीं नाटकों में से एक है । यह कृति श्री श्यामानन्द मिश्र के हिन्दी अनुवाद के साथ पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से प्रकाशित हो रही है। यद्यपि प्रस्तुत ग्रन्थ की भूमिका में श्री श्यामानन्द मिश्र ने इस कृति के साहित्यिक. पक्ष पर पर्याप्त विस्तार से प्रकाश डाला है, अतः यहाँ उस सम्बन्ध में मैं विशेष चर्चा न करके प्रस्तुत कृति में आचार्य रामचन्द्रसूरि ने जैनदृष्टि का निर्वाह किस कुशलता से किया है, इसका किञ्चित् निर्देश करना चाहूँगा । आचार्य रामचन्द्रसूरि अपनी इस कृति का प्रारम्भ भगवान् ऋषभदेव की स्तुति के साथ करते हैं। न केवल इसके मङ्गलाचरण में, अपितु इस नाटक में चित्रित अन्य सङ्कटकालीन परिस्थितियों में भी वे भगवान् ऋषभदेव की शरण ग्रहण करने का निर्देश करते हैं। यथा (१) यः प्राप निवृतिं क्लेशाननुभूय भवार्णवे । तस्मै विश्वकमित्राय त्रिधा नाभिभुवे नमः ।। (२) परं भगवतो नाभेयस्य पादाः शरणम् । पृ० (३) नाभेयस्य तदा पदानि शरणं देवस्य दुःखच्छिद। पृ० ७६ । मात्र इतना ही नहीं नाटक के अष्टम अङ्क में तो वे मकरन्द के द्वारा जैनधर्म के प्रसिद्ध एवं परमपवित्र पञ्चपरमेष्ठी नमस्कार मन्त्र के स्मरण का भी निर्देश करते हैं । उस नमस्कार मन्त्र के स्मरण के प्रभाव से न केवल उसके प्राण बच जाते हैं, बल्कि उसकी बलि देने वाला कापालिक स्वयं ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । २ इससे रामचन्द्रसूरि की जैनधर्म के नमस्कार मन्त्र के प्रति अनन्य निष्ठा भी प्रकट १. परमेष्ठि नाम पवित्रं मन्त्रं स्मरामि । २. पुनः पुरुषवपुर्मकरन्दाभिमुखं गत्वा प्रतिनिवृत्त्य च । करवालेन कापालिकमभिहन्ति । Jain Education International — wwwwday • यही, पृ० १४७। - - यही, पृ० १४८ । For Private & Personal Use Only ― पृ० १ । ३७ । ----- www.jainelibrary.org
SR No.002080
Book TitleKaumudimitranandrupakam
Original Sutra AuthorRamchandrasuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Culture
File Size8 MB
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