________________
समयसार : श्रीमद् भगवत् कुंदकुंदाचार्य, श्रीमद् राजचंद्र आश्रम, अगास, द्वितीय,
१९७४
समाधितंत्र और इष्टोपदेश : श्री पूज्यपाद, वीर सेवा मंदिर, दरियागंज, दिल्ली, वि. सं. २०११, ई. स. १९५४
__समाधितंत्र (गुजराती) : श्री देवनंदी पूज्यपादस्वामी, श्री वीतराग सत् साहित्य प्रसारक ट्रस्ट, भावनगर
सर्वांग योगसार : स्वामी रामकृष्णानंद चैतन्य, श्री नारायण महादेव भिडे, अमळनेर, गीताजयंती शके १८८५
सर्वार्थसिद्धि : श्रीमदाचार्य पूज्यपाद, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, वाराणसी, दरियागंज (दिल्ली), द्वितीय, १९७१
द सायन्स ऑफ मेडिटेशन : रोहित मेहता, मोतीलाल बनारसीदास दिल्लीवाराणसी-पटना, प्रथम, १९७८
सर्व दर्शन संग्रह : माधवाचार्य (डॉ. उमाशंकर शर्मा भाष्यकार), चौखंबा विद्याभवन, वाराणसी, द्वितीय, १९७८
सरल मनोविज्ञान (हिंदी) : नंदकिशोर अँड सन्स, वाराणसी, ग्यारहवा, १९६४
सामान्य मनोविज्ञान : डॉ. एस. एस. माथुर, विनोद पुस्तक मंदिर, आगरा, द्वितीय, १९६६
सामायिक सूत्र : उपाध्याय अमरमुनि, सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, तृतीय, १९६९ संलेखाना इज नॉट सुइसाइड : नगीन जे. शहा, द्वितीय, १९७६ सार्थ ज्ञानेश्वरी : शंकर वामन दांडेकर, स्वानंद प्रकाशन, पुणे, षष्टम, १९७६
सिख धर्म क्या कहता है? यहूदी धर्म क्या कहता है? इस्लाम धर्म क्या कहता है? ईसाई धर्म क्या कहता है? : श्रीकृष्णदत्त भट्ट, सर्व सेवा संघ प्रकाशन वाराणसी राजघाट, वाराणसी, प्रथम, द्वितीय, १९६३, १९६५
सिरि पासनाह चरियं : श्री देवभद्रसूरि, अहमदाबाद
सिद्ध सिद्धांत पद्धति : महादेव दामोदर भट, सखाराम रघुनाथ आघारकर, केशव वामन जोशी, पुणे (महा.)
सिद्धांतसार संग्रह : नरेंद्र सेनाचार्य, लालचंद हिराचंद दोशी जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर (महा.) द्वितीय, १९७२
सुभाषित रत्न संदोह : आ. अमितगति, लालचंद हीराचंद जैन संस्कृति संरक्षक संघ, १९७७
सूरिमंत्रकल्प समुच्चय : अनेक पूर्वाचार्य प्रणीत (मुनि जम्बू विजय), जैन साहित्य विकास मंडलम्, मुंबई ४०००५६, प्रथम, १९७७ ५८८
जैन साधना का स्वरूप और उसमें ध्यान का महत्त्व
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org