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योगदृष्टि समुच्चय - योगविंशिका : श्री हरिभद्रसूरि, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद-९, १९७० ई. स.
योग दृष्टि समुच्चय (गुजराती) : श्री हरिभद्राचार्य, विवेचक-डॉ. भ. म. मेहता
योगा एंड वेस्टर्न सायकॉलॉजी (अंग्रेजी) : जिरेल्डाइन कास्टर, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, पटना-वाराणसी, तृतीय, १९६८
. योगा सायकॉलॉजी (अंग्रेजी), स्वामी अभेदानंद, रामकृष्ण वेदांत पाथ, कलकत्ता, प्रथम, १९६०
_योगानुभव सुखसागर : तथा योगविंशिका : आ. श्री ऋद्धिसागरसूरि, श्रीभद्र बुद्धिसागरसूरि जैन ज्ञानमंदिर, विजापुर (गुजरात)
योगोपनिषद् : पं. ए. महादेव शास्त्री, द अडयार लायब्रेरी और रिसर्च सेंटर, अडियार (मद्रास) १९६८
युक्यनुशासन : श्रीमत्स्वामी समन्तभद्राचार्यवर्य, वीर सेवा मंदिर, सहारनपुर, १९५१
वाल्मीकि रामायण : तिलक शिरोमणि भूण्णेति टीका त्रयम्, गुजराती प्रिंटिंग प्रेस, सासुन बिल्डिंग, एलफिंस्टन सर्कल, कोट (मुंबई)
विवेक चूड़ामणि : आ. शंकर, गीता प्रेस, गोरखपुर, तेरहवां, सं. २०१८
विवेक आणि साधना : पं. केदारनाथ, श्री केदारनाथजी स्मारक ट्रस्ट, विजयानगर पुणे-३०, तृतीय, १९७९
विश्वधर्म दर्शन : श्री सांवलिया विहारीलाल वर्मा, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, १९७५
विश्वतत्त्व प्रकाश : भावसेन विद्य, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, प्रथम, १९६४
वैदिक साहित्य और संस्कृति : वाचस्पति गैरोला, संवर्तिका प्रकाशन, इलाहाबाद, द्वितीय, १९७०
वैदिक धर्म क्या कहता है? (भाग-१, २, ३): श्री कृष्णदत्त भट्ट, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, राजघाट वाराणसी, प्रथम, द्वितीय, १९६३, १९६५
वैदिक साहित्य और संस्कृति : आचार्य बलदेव उपाध्याय, शारदा संस्थान ३७ बी. रविंद्रपुरी, दुर्गाकुंड, वाराणसी-५, चतुर्थ-१९७३
वैराग्य शतक : बाबू हरिदास वैद्य, हरिदास एंड कंपनी प्रा. लिमिटेड, मथुरा (उ.प्र.), १९७७ ५८६
जैन साधना का स्वरूप और उसमें ध्यान का महत्त्व
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