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२ योग की परिभाषा और परम्परा
१. योग शब्द की यात्रा
____ 'योग' शब्द संस्कृत की 'युज्' धातु से 'घन' प्रत्यय द्वारा निर्मित हुआ है। संस्कृत व्याकरण में 'युज' नाम की दो धातु हैं। उनमें से एक का अर्थ 'जोड़ना'' है और दूसरी का मनःसमाधि' अथवा मन की स्थिरता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाय तो योग शब्द का अर्थ सम्बन्ध स्थापित करना तथा मानसिक, वाचिक एवं शारीरिक स्थिरता प्राप्त करना-दोनों ही हैं। इस प्रकार साधन और साध्य-दोनों ही रूप में 'योग' शब्द अर्थवान है। भारतीय दर्शनों में इस शब्द का प्रयोग इन दोनों ही रूपों में मिलता है।
'योग' शब्द का सम्बन्ध 'युग' से भी है जिसका ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से प्रयोग काल मान से है । 'युग' का दूसरा अर्थ 'जोतना' भी है और इस अर्थ में इसका प्रयोग वैदिक साहित्य में कई स्थलों पर हुआ है। गणित शास्त्र में 'योग' का अर्थ 'जोड़' है ।
___ भाषाशास्त्र की दृष्टि से विचार किया जाय तो 'योग' प्राचीन भारतीय आर्य भाषाओं (Indo-Aryan languages) के परिवार का है। यह जर्मनभाषा (German language) के जोक (Jock), ऍग्लो सेक्सन (Angle-Saxon) के गेओक (Geoc), इउक (Iuc), इओक (Ioc), ग्रीक (Greek) के जुगोन (Zugon), तथा लैटिन (Latin) के इउगम (Iugum) के समकक्ष तथा समानार्थक है।
-हेमचन्द्र धातुमाला, गण ७. -हेमचन्द्र धातुमाला, गण ४.
१ युजपी योगे। २ युजि च समाधौ । ३ दर्शन और चिन्तन, प्रथम खण्ड, पृ० २३०. ४ Yoga Philosophy, p. 43.
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