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________________ जैन योग : सिद्धान्त और साधना मस्तिष्क की रचना और अद्भुत क्षमता यद्यपि मानव खोपड़ी का भार १३ किलोग्राम से अधिक नहीं होता; लेकिन इसमें ही १४ करोड़ कोशिका तन्त्र होते हैं तथा १४ अरब ५ लाख ज्ञान तन्तु मानव मस्तिष्क में अवस्थित होते हैं । इसका क्ष ेत्रफल लगभग २६ वर्ग इंच होता है । मस्तिष्क में दो रंग के द्रव्य होते हैं - ( १ ) धूसर ( पीले से कुछ गहरा रंग) रंग का, यह स्मृति तथा बुद्धि को नियन्त्रित करता है । जिस व्यक्ति के मस्तिष्क का यह द्रव्य अच्छा होता है, उसको बुद्धि भी अच्छी होती है । और (२) दूसरा द्रव्य है सफेद रंग का यह क्रिया का नियन्त्रण करता है । मस्तिष्क के तीन भाग हैं- एक, समस्त क्रिया-प्रक्रियाओं का संचालक है; दूसरा, मांस-पेशियों का नियन्त्रक है और तीसरा स्वचालित प्रक्रियाओं - साँस लेना, भोजन पचाना आदि क्रियाओं का नियन्त्रक है । अब जरा इस मस्तिष्क की कार्यक्षमता का अनुमान लगाइये । आँखें ही औसतन ५० लाख चित्र प्रतिदिन उतारती हैं । इसके अतिरिक्त ध्वनियों, गन्धों, स्पर्शो, स्वादों का महासागर हर समय मनुष्य के चारों ओर लहराता रहता है । यह सारा तूफान मस्तिष्क से ही तो टकराता है और मस्तिष्क इन सबको समझता है, जानता है और निर्णय करता है । इन सबके अलावा नईपुरानी स्मृतियाँ, अर्जित किया हुआ ज्ञान, इस जन्म और पिछले जन्मों के संस्कार, सुखद-दुःखद अनुभूतियाँ आदि सभी मस्तिष्क में ही संचित रहती हैं। यह सारा कार्य कितना श्रमसाध्य और उलझनभरा है ? किन्तु इन सब कार्यों को अपने १४ अरब ५ लाख ज्ञान तन्तुओं की सहायता से मस्तिष्क सुचारु रूप से नियमित सम्पन्न करता रहता है । समस्त अतीन्द्रिय क्षमताएँ भी मस्तिष्क में ही भरी होती हैं; दूसरे शब्दों में मस्तिष्क ही अतीन्द्रिय क्षमताओं का स्रोत है । सुना है आपने (१) नियेशन नाम की एक महिला किसी भी अज्ञात व्यक्ति की कोई वस्तु छूकर उस व्यक्ति का भूत, वर्तमान और भविष्य बता देती है, जो पूर्णरूप से सत्य होता है । (२) कुमारी एडम, दूरवर्ती वस्तुओं को इस प्रकार बता देती है मानो वह सामने खुली हुई पुस्तक को पढ़ रही हो । (३) कनाडा के मनःतत्व विशेषज्ञ डा० डब्ल्यु० जी० पेनफील्ड ने ऐसे विद्य ुदग्र (Electrode) की खोज कर ली है जिसका शरीर के किसी विशिष्ट स्थान की किसी विशिष्ट कोशिका के साथ सम्बन्ध जोड़ देने पर मनुष्य अपने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
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