SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 456
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नवकार महामंत्र की साधना ३७७ इस पद में पृथ्वी, जल, वायु और आकाश - इन चारों तत्त्वों का उचित समन्वय है । इस पद का समवेत रंग निरभ्र आकाश के समान हल्का नीला है । नीला रंग शांति प्रदायक है । इससे साधक में क्षमाशीलता और तितिक्षा भाव का विकास होता है, वह क्रोधविजयी बनता है । विशेष ध्यान देने की बात यह है कि इस पद में एक भी अग्नि तत्त्व का वर्ण नहीं है । इसीलिए यह पद साधक के लिए शीतलता प्रदायक है और उसमें समताभाव का विकास करने वाला है । पाँचवा पद है - णमो लोए सव्वसाहूणं । ' णमो लोए सव्व साहूणं' पद में १८ वर्ण, ६ अक्षर, ६ स्वर, व्यंजन, अनुनासिक व्यंजन ३ और अनुनासिक स्वर १ है । तत्त्वों की दृष्टि से 'णमो' 'हू' और 'णं' आकाश तत्त्व है, 'लो' पृथ्वी 'तत्त्व है, 'ए' वायु तत्त्व है, और 'स', 'व्व', 'सा' जल तत्त्व है । यानी इस पद में पृथ्वी, वायु, जल और आकाश - ये चारों तत्त्व हैं । इनमें भी आकाश तत्त्व के चार अक्षर हैं, अत: इस पद में आकाश तत्त्व अधिक है; और क्योंकि आकाश तत्त्व का रंग गहरा नीला या काला माना गया है अतः इस पद का रंग भी काला है, किन्तु पृथ्वी और जल तत्त्व की विशेष अवस्थिति होने के कारण यह काला वर्ण अंजन के समान काला न होकर कस्तूरी के समान चमकदार काला रंग होता है । इस पद की साधना करने वाला साधक इस पद को कस्तूरी जैसे काले चमकदार रंग से रंगा हुआ मानकर साधना करता है । साधना की विधि साधना के लिए सर्वप्रथम द्रव्य-शुद्धि, काल-शुद्धि और भाव- शुद्धि करके किसी भी आसन; यथा -- पद्मासन, कायोत्सर्गासन आदि से अवस्थित हो जाइये | आसन अपनी शक्ति और शारीरिक क्षमता के अनुसार ऐसा ग्रहण करें, जिसमें सुखपूर्वक अधिक समय तक अपने शरीर को स्थिर रख सकें; क्योंकि शारीरिक स्थिरता पर ही मानसिक स्थिरता निर्भर करती है । इतनी तैयारी करने के बाद अब नवकार मन्त्र की साधना प्रारम्भ करिए । णमो अरिहंताणं ध्यान का स्थान - ज्ञान केन्द्र ( आज्ञाचक्र -- ललाट - मध्य) अपने मन को ज्ञान केन्द्र पर एकाग्र करिए। साथ ही श्वेत वर्ण हो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy