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________________ ( viii ) अध्याय जैन देवकुल के सामान्य परिचय से सम्बन्धित है। आगे के अध्यायों में विवेचित देव मूर्तियों को पारम्परिक सन्दर्भ में समझने की दृष्टि से इस अध्याय का विशेष महत्त्व है । चौथे अध्याय में खजुराहो की तीर्थंकर या जिन मूर्तियों का विशद् विवेचन हुआ है । पाँचवाँ अध्याय खजुराहो की जैन यक्ष और यक्षी मूर्तियों से सम्बन्धित है। छठे अध्याय में खजुराहो की विद्यादेवी या महाविद्या मूर्तियों का अध्ययन है । सातवें अध्याय में खजुराहो से मिली अन्य जैन देव मूर्तियों का अध्ययन किया गया है। इनमें बाहुबली, सरस्वती, लक्ष्मी, नवग्रह, जैन मुनि एवं युगल मूर्तियाँ मुख्य हैं। आठवें अध्याय में खजुराहो के नवनिर्मित साहू शान्ति प्रसाद जैन कला संग्रहालय की मूर्तियों का स्वतन्त्र विवेचन है। परिशिष्ट में आदिनाथ मन्दिर के प्रवेशद्वार की मूर्तियों, मांगलिक स्वप्नों, जैन लेखों, तीर्थंकर, यक्ष-यक्षी एवं महाविद्याओं की प्रतिमालक्षण सम्बन्धी तालिकाओं और पारिभाषिक शब्दावली के उल्लेख हैं। अन्त में विस्तृत सन्दर्भ-सूची, चित्रसूची और चित्रावली दिये गये हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ के लेखन एवं प्रकाशन में जिन कृपालु व्यक्तियों एवं संस्थाओं से सहायता मिली है, उनके प्रति आभार के दो शब्द कहना यहाँ अपना कर्त्तव्य समझता हूँ। ग्रन्थ-लेखन में आयी विभिन्न समस्याओं के समाधान में कृपापूर्ण सहायता एवं सतत् उत्साहवर्धन के लिए मैं प्रो० मधुसूदन ढाकी, सहनिदेशक (शोध), अमेरिकन इन्स्टिट्यूट ऑव इण्डियन स्टडीज, वाराणसी और प्रो० डा० आनन्द कृष्ण, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष, कला-इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। प्रस्तुत ग्रन्थ के लेखन एवं प्रकाशन की अवधि में मिली बहुविध सहायता के लिए मैं डा० (श्रीमती) कमल गिरि, व्याख्यात्री, कला-इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का विशेष रूप से आभारी हूँ। ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए मैं श्री साहू शान्ति प्रसाद जैन कला संग्रहालय, खजुराहो प्रबन्ध समिति एवं श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र खजुराहो प्रबन्ध समिति, खजुराहो का आभारी हूँ। इस प्रसंग में मैं समिति के अध्यक्ष श्री दशरथ जैन, उपाध्यक्ष श्री सुरेन्द्र कुमार जैन एवं मंत्री श्री कमल कुमार जैन को विशेष रूप से धन्यवाद देता हूँ। __ ग्रन्थ में प्रकाशित चित्रों के लिए मैं अमेरिकन इन्स्टिट्यूट ऑव इण्डियन स्टडीज, वाराणसी के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूँ। कुछ चित्रों की व्यवस्था के लिए मैं श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र खजुराहो प्रबन्ध समिति, खजुराहो को भी धन्यवाद देता हूँ । सुन्दर मुद्रण के लिए मैं तारा प्रिन्टिग वसं, वाराणसी के व्यवस्थापक श्री रमाशंकर पण्ड्या को भी साधुवाद देता हूँ। __विद्वानों एवं सामान्य जिज्ञासु पाठकों के लिए यह ग्रन्थ यदि किंचित् मात्र भो उपयोगी सिद्ध हुआ तो मैं अपने प्रयास को सार्थक मानूंगा। हिन्दी जगत में भी प्रस्तुतत ग्रन्थ का स्वागत होगा, इस विश्वास के साथ । कात्तिक पूर्णिमा, १६ नवम्बर १९८६ मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002076
Book TitleKhajuraho ka Jain Puratattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaruti Nandan Prasad Tiwari
PublisherSahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
Publication Year1987
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Art, & Statue
File Size10 MB
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