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________________ Jain Education International आयुध १०० चार संख्या यक्ष ७. मातंग (क) श्वे० (ख) दि० ८. (i) विजय-श्वे० (i) श्याम-दि० ९. अजित (क) श्वे० चार चार (ख) दि० १०. ब्रह्म (क) श्वे० आठ या For Private & Personal Use Only वाहन भुना-सं० ___ अन्योलक्षण गज बिल्वफल, पाश (या नागपाश), नकुल (या वज्र), अंकुश सिंह (या मेष) दो वज्र (या शूल), दण्ड । गदा, पाश (अपराजितपृच्छा) चक्र (या खड्ग), मुद्गर त्रिनेत्र कपोत चार फल, अक्षमाला, परशु, वरदमुद्रा त्रिनेत्र मातुलिंग, अक्षसूत्र (या अभयमुद्रा), नकुल, शूल (या अतुल रत्नराशि) ___ फल, अक्षसूत्र, शक्ति, वरदमुद्रा । आठ या मातुलिंग, मुद्गर, पाश, अभयमुद्रा त्रिनेत्र, चतुर्मुख या वरदमुद्रा (दक्षिण); नकुल, गदा, अंकुश, अक्षसूत्र (वाम); ____ दस मातुलिंग, मुद्गर, पाश, अभयमुद्रा, नकुल, गदा अंकुश, अक्षसूत्र, पाश, पद्म (आचारदिनकर) आठ बाण, खड्ग, वरदमुद्रा, धनुष, दण्ड, खेटक, चतुर्मुख परशु, वज्र . मातुलिंग, गदा, नकुल, अक्षसूत्र त्रिनेत्र चार फल, अक्षसूत्र, त्रिशूल, दण्ड (या वरदमुद्रा) त्रिनेत्र हंस बीजपूरक, बाण (या वीणा), नकुल, धनुष हंस (या मयूर) चार वरदमुद्रा, गदा, धनुष, फला (प्रतिष्ठासारोद्धार); त्रिमुख या षण्मुख या छह बाण, गदा, वरदमुद्रा, धनुष, .....नकुल, मातुलिंग।(प्रतिष्ठातिलकम्) (ख) दि० सरोज चार वृषभ वृषभ ११. ईश्वर (क) श्वे. (ख) दि० १२. कुमार (क) श्वे० (ख) दि० चार खजुराहो का जैन पुरात . www.jainelibrary.org
SR No.002076
Book TitleKhajuraho ka Jain Puratattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaruti Nandan Prasad Tiwari
PublisherSahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
Publication Year1987
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Art, & Statue
File Size10 MB
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