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________________ जैनतीयों का ऐतिहासिक अध्ययन ३१३ जिनेश्वरसूरि (खरतरगच्छीय) धरसेनाचार्य ४७ ५६. ५७ धर्मघोष (मुनि) १०५ ज्ञानचन्द्रसूरि (धर्मघोषगच्छीय) धर्मघोषसूरि २१, ५५, २१९ धर्मवोषसूरि (तपगच्छीय) ५५,५७, ज्ञानसागर १४४. १४६ २५४, २५६ ज्ञानसागर (दिग० मनि एवं ग्रन्थ- धर्मघोषसूरि (राजगच्छीय) ३९, कार) २८१ १९५, १९६ धर्मतिलकसरि ५७ ठक्करफेरु ५९ तोसलीपुत्र १७० धर्मरुचि ८६, ८८ दण्डी २४७ धर्मरुचि (जैनमुनि) १०५ दुर्बलिकपुष्यमित्र ९९, ००२, धर्मसागर १९६ देवचन्द्र (तपगच्छीयसाधु) ५५,५६ धर्मसिंहसूरि १७८ देवप्रभसूरि ५६, ८२ धृतपुष्यमित्र ९९, १०२ देवप्रभसूरि (मलधारगच्छीय) नन्दश्री (साध्वी) १०५ २५८ नन्न सूरि ३५, २४५ देवभद्रसूरि (खरतरगच्छीय) २१४ नमि (प्रत्येकबुद्ध) १३७ देवद्धिगणिक्षमाश्रमण २४८ नयनन्दी २८ देवसेन (दि० जैन मुनि) ३८ नरचन्द्रसूरि ५४, ५७ देवाणंदसूरि (मलधारगच्छीय) नरेन्द्रप्रभरि ५४ २२५, २२७ नागार्जुनसूरि २४८ देवेन्द्रकीति (भट्टारक) १६२ । नागार्जुन (सुप्रसिद्ध रसायनज्ञ) देवेन्द्रसूरि ७५, ७८, ७९ २६२ देवेन्द्रसूरि तपगच्छीय) ५७ नागेन्द्रसूरि २८० देवेन्द्रसूरि ( नागेन्द्रगच्छीय )७९, निवृनसूरि २८० नेमिचन्द्र (दिगम्बर आचार्य) ६१ धनपाल (कवि) २०३ २०४ धनपाल (जैन मुन) ३८ पद्मशेखरसूरि (रुद्रपल्लीय गच्छीधनेश्वर (जैन आचार्य) ३८ यमुनि) १६ धनेश्वरसूरि २४० परमदेवसूरि (पूर्णिमागच्छीय धनेश्वरसूरि (नाणावालगच्छीय) आचार्य) ५४ परमानन्दसूरि ५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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