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________________ जैसा कि पहले कहा जा चुका है, इस अध्याय में दक्षिण भारत ( महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, कर्णाटक और केरल ) के तीर्थों को सम्मिलित किया गया है । इन प्रान्तों के तीर्थों का अलग-अलग वर्णक्रमानुसार विवरण प्रस्तुत है अ - महाराष्ट्र (१) कोल्हापुर (२) डाकिनी भीमशंकर (३) नासिक्य ( नासिक) (४) प्रतिष्ठान (५) श्रीपुर (६) सूर्पारक अध्याय ९ दक्षिणभारत आ-आन्ध्रप्रदेश (१) आमरकुण्डपद्मादेवी कल्प (२) कुल्पाकमाणिक्यदेवकल्प (३) श्रीपर्वत इ–कर्णाटक (१) किष्किन्धा (२) गोम्मेश्वरबाहुबलि (३) शंखजिनालय Jain Education International ई- केरल (१) मलयपर्वत अ- महाराष्ट्र १. कोल्हापुर जिनप्रभसूरि ने कल्पप्रदीप के चतुरशीतिमहातीर्थ नाम संग्रहकल्प के अन्तर्गत कोल्हापुर का भी उल्लेख किया है और यहाँ आदिनाथ के मन्दिर होने की बात कही है । इसके अतिरिक्त 'प्रतिष्ठानपुराधिपति सातवाहननृपचरित्र' में भी इस नगरी का उल्लेख है और यहाँ स्थित -- महालक्ष्मी के मन्दिर की चर्चा है । कोल्हापुर महाराष्ट्र प्रान्त की एक प्रमुख नगरी है । जैन केन्द्र के रूप में यह नगरी कब प्रतिष्ठित हुई ! यह कहना कठिन है, परन्तु For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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