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________________ २४२ पश्चिम भारत के जैन तीर्थ कुलिका श्री सोमेश्वरपत्तन स्थित नेमिनाथचैत्यालय में निर्मित करायी गयी।' इस जिनालय का निर्माता कौन था ? यह ज्ञात नहीं होता। उपदेशतरंगिणी के अनुसार वि०सं० १३२१/ई०सन् १२६४ में मांडवगढ़ के पेथड़शाह ने इस महातीर्थ की यात्रा की और उसी समय देवपत्तन में एक जिनालय का निर्माण कराया।२ शत्रुञ्जयप्रकाश के अनुसार मांडवगढ़ के पेथड़शाह ने जैन तीर्थों में सुकृत्य कराये, इन जैन तीर्थों में सोमेश्वरपत्तन का भी उल्लेख है । उक्त विवरणों से यह संभावना प्रकट की जा सकती है कि पेथड़शाह ने देवपत्तन में ई० सन् १२६४ के लगभग नेमिनाथ चैत्यालय का निर्माण कराया होगा। इस प्रकार मुस्लिम आक्रमण के पूर्व यहाँ कुल ६ जिनालयों की उपस्थिति का पता चलता है, ये जिनालय हैं १-वलभी भंग (ई० सन् ७८८-७८९) के पश्चात् यहाँ से जिन प्रतिमाओं का प्रभासपत्तन जाना और वहाँ उनकी चैत्यों में स्थापना। २-दिगम्बरों द्वारा निर्मित चंद्रप्रभस्वामी का मंदिर, जिसका भीम 'द्वितीय' के समय वि०सं० १२ (५) में जीर्णोद्धार कराया गया। ३-कुमारपाल द्वारा निर्मित कुमारपाल विहार—पार्श्वनाथ चैत्यालय। ४-वस्तुपाल द्वारा निर्मित अष्टापदप्रासाद । ५-तेजपाल द्वारा निर्मित आदिनाजिनालय । ६.-पेथड़शाह द्वारा निर्मित नेमिनाथजिनालय । मुस्लिम आक्रमणों से गुजरात के अधिकांश ब्राह्मणीय और जैन मंदिरों को क्षति पहुँची। अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति उलगूखान द्वारा गुजरात पर ई० सन् १२९८ से ई० सन् १३०५ तक आक्रमणों का क्रम चलता रहा । उसने यहाँ के मंदिरों को नष्ट कर इनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण कराना प्रारम्भ कर दिया। प्रभासपाटन के भी प्रायः सभी मंदिर या तो समाप्त कर दिये गये अथवा उन्हें मस्जिदों के १. ढाकी और शास्त्री-पूर्वोक्त । २. वही । ३. वही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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