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________________ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन १४५ ९-- शीलविजय- तीर्थमाला' ई० सन् १६९० १०-सौभाग्यविजय- तीर्थमाला ई० सन् १९९३ इस प्रकार स्पष्ट है कि एक लम्बे काल मे ही इस तीर्थ की सार्वभौमिक मान्यता प्रचलित रही है, जो आज भी उसी प्रकार मान्य - सम्मेतशिखर को वर्तमान बिहार राज्य के हजारीबाग जिले में अवस्थित पारसनाथहिल से समीकृत किया जाता है। यहां २० तीर्थङ्करों के चरणचिह्न स्थापित हैं, परन्तु उनमें से कोई भी १८वीं शनी से प्राचीन नहीं है, जिससे कुछ विद्वानों ने इसके वास्तविक सम्मेतशिखर होने में शंका प्रकट की है और हजारीबाग जिले में ही अवस्थित कोल्हआ पहाड़ को, जहां विपुल परिमाण में जनपूरावशेष बिखरे पड़े हैं, वास्तविक सम्मेतशिखर होने की संभावना व्यक्त की है।" कोल्हुआ पहाड़ के निकट स्थित वर्तमान भोद्दलगांव (प्राचीनभद्दिलपुर, मध्ययुगीन-दातारग्राम) भगवान् शीतलनाथ की जन्म-भूमि मानी जाती है । तीर्थमालाओं में इस स्थान का वर्णन हैपटणाथी दक्षिण दिशि जांणजो रे मारग मोटा कोस पंचास रे । भद्दिलपुर भाषे छे शास्त्रमा रे हिवणां नाम दुतारा जास रे ।। १. विजयधर्मसूरि-पूर्वोक्त, पृ० १०१-१३१ २. वही; ७३-१०० ३. पाटिल-डी० आर०-द ऐंटिक्वेरियन रिमेन्स इन बिहार ( पटना, १९६३ ई० ) पृ० ३६४-६६ ४. वही प्रो० एम० ए० ढाकी और प्रो० सागरमल जैन से व्यक्तिगत चर्चा पर आधारित । कोल्हुआ पहाड़ पर अवस्थित जैन पुरावशेषों के सन्दर्भ में द्रष्टव्य (i) इन्डियन ऐंटिक्वेरी, जिल्द xxx पृ० ९०-९५ ( ii ) रायचौधरी, पी०वी०-जैनिज्म इन विहार पृ० ४०-४३ ( iii) पाटिल, डी० आर० --पूर्वोक्त, पृ० २१५-२१९ (iv) जैन बलभद्र-भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ, भाग २, पृ० १६५-७२ ६. जैन, जगदीश चन्द्र-भारत के प्राचीन जैन तीर्थ पृ० २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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