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सामान्य श्रतधर काल खण्ड २
खरतरगच्छ
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३. प्रभव स्वामी ४. शय्यंभवसूरि ५. यशोभद्रसूरि ६. संभूत विजय ७. भद्रबाहु स्वामी ८. स्थूलभद्र ६. आर्य महागिरि १०. आर्य सुहस्ती ११. सुस्थितसूरि : इनसे कोटिकगच्छ निकला। १२. इन्द्रदिन्नसूरि १३. दिन्नसूरि १४. सिंहगिरि १५. वज्र स्वामी १६. व्रज सेनाचार्य (नागेन्द्र, चन्द्र, निर्वत्ति और विद्याधर इन चार शिष्यों
से चार कुलों की उत्पत्ति ।) १७. चन्द्रसूरि १८. समन्तभद्रसूरि (वनवासी) १६. वृद्धदेवसूरि २०. प्रद्योतनसूरि २१. मानदेवसूरि २२. मानतुगसूरि (भक्तामर स्तोत्र कर्ता) .२३. वीरसूरि (इसी अवधि में देवद्धिगरिण क्षमाश्रमण ने वल्लभी में वीर
निर्वाण सम्वत् १८० से आगमों का लेखन प्रारम्भ करवाया। वीर निर्वाण सम्बत् ११३ में भाद्रपद शुक्ला
पंचमी के स्थान पर चौथ को पर्युषण पर्व मनाया ।) २४. जयदेवसूरि २५. देवानन्दसूरि २६. विक्रमसूरि २७. नरसिंहसूरि २८. समुद्रसूरि २६. मानदेवसूरि ३०. विबुधप्रभसूरि ३१. जयानन्दसूरि ३२. रविप्रभमूरि ३३. यशोप्रभमूरि ३४. विमलचन्द्रसुरि
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