________________
२. संदर्भ ग्रन्थों एवं शिलालेखादि की सूची
अंग पण्णती, शुभचन्द्र (विजय कीति शिष्य) प्रावश्यक नियुक्ति-प्रवरिण रचित, प्रकाशक-माणिकचन्द्र दि० जन
मावश्यक मलयगिरीया वृत्ति ग्रन्थ माला, बम्बई .
भावश्यक वृहद्वृत्ति अनुयोगद्वार-वृत्तिकार हेमचन्द्रमूरि, प्रकाशक
प्रावश्यक हारिभद्रीया वृक्ति राय धनपतसिंह बहादुर
Introduction by A.N. Upadhye on अभिधान चिन्तामणि, प्राचार्य हेमचन्द्रकृत ।
Pravachansara. ___टीका विजयधर्म सूरि वीर सं० २४४१
इन्वेजन माफ इण्डिया राई अलेक्जेण्डौअभिधान राजेन्द्र, भाग १-७, विजय राजेन्द्र
मैकक्रिडिलकृत सूरि रचित, प्रकाशक-श्री जैन श्वेताम्बर समस्त संघ, जन प्रभाकर प्रिन्टिंग प्रेस,
'उत्तरपुराण, गुणभद्राचार्यकृत, भारतीय ज्ञान
पीठ, दुर्गाकुण्ड रोड़ वाराणसी, रतलाम सन् १९१३
सं० पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, अमोघवृत्ति-शाकटायन व्याकरण पर यापनीय . प्राचार्य द्वारा रचित स्वोपनवृत्ति
संवत् २०११ .. अशोकावदान ..
उत्तराध्ययन सूत्र, जीवराज घेलामाई, मागम अष्टोत्तरी, कस्तूरचन्द जबरचन्द
अहमदाबाद गादिया, बम्बई .
उत्तराध्ययन मूत्र-पाइय टीका-शान्तिसूरिकता माचारकल्प
उपदेश माला दोषट्टी वृत्ति, रत्नप्रभसूरि, पाचारांग, मनुवाद मा० मारमारामजी म.,
धनजीभाई देवचन्द्र बोहरी, मिजो स्ट्रीट, प्रकाशक मा. श्री प्रात्माराम जैन प्रकाशन समिति, सुधियाना
Epitome of Jainism. प्राचारांग (नियुक्ति सहित) वृत्तिकार
एरण की प्रशस्ति शीलांकाचार्य, प्रकाशक-राय पनपतसिंह माप्त मीमांसा, समन्तभद्ररचित
मोपनियुक्ति-द्रोणाचार्यकृता टीका, प्र. मार्य मंगू कथा ..
श्री विजयानन्द सूरी बन ग्रन्थमाला, पाराधना कथा कोश
गोपीपुरा सूरत, सं० २०१४ पावश्यक कथा
पोपपातिक सूत्र टीका अनुवाद धासीसालपी पावश्यक चूणि, प्रा. जिनदास गणि महत्तर, महाराज, प्र.म. भारतीय श्वे. स्था. रतलाम से सन् १९२८ में प्रकाशित
चन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, भावश्यक नियुक्ति, भद्रबाहु (वि०) रचित,
सं० २०१५ हारिभद्रीया वृत्ति, हेमचन्द्र सूरि कथासरित्सागर, सोमदेव भट्ट, बिहार राष्ट्र टिप्पणकम्, सं० १९७६..
__ भाषा परिषद पटना, ६.शक सं० १९८३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org