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________________ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - द्वितीय भाग [ समुद्रगुप्त महादण्डनायक, कुमारामात्य और सांधिविग्रहिक पदों को धारण करने वाले श्रमात्य कवि हरिषेण द्वारा उट्टं कित करवाये गये इलाहाबाद स्थित कौशाम्बी के उपरोक्त स्तम्भलेख में समुद्रगुप्त के तीन विजयाभियानों का विवरण दिया गया है । इस प्रभिलेख में समुद्रगुप्त द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ का विवरण नहीं दिया गया है अतः यह प्रमाणित होता है कि अश्वमेध के प्रायोजन से पूर्व ही यह स्तम्भ लेख उत्कीर्ण करवाया गया । ६६० प्रथम विजय अभियान समुद्रगुप्त द्वारा आर्यावर्त में किये गये उसके सर्वप्रथम विजय अभियान का विवरण देते हुए इस स्तम्भलेख में बताया गया है कि इस सैनिक अभियान में समुद्रगुप्त ने कतिपय राज्यों को जड़ से उखाड़ फेंका । जिन राज्यों का समुद्रगुप्त द्वारा उन्मूलन किया गया, उनमें अहिच्छत्र के राजा अच्युत और पद्मावती के नागवंशी राजा नागसेन के राज्य प्रमुख थे । ' द्वितीय विजय अभियान अपने दूसरे विजय अभियान में समुद्रगुप्त अपनी सुविशाल एवं सशक्त विजयवाहिनी के साथ दक्षिणापथ की विजय के लिये प्रस्थित हुआ । इस सैनिक अभियान में समुद्रगुप्त ने क्रमशः निम्नलिखित राज्यों को जीत कर अपने साम्राज्य के अधीनस्थ बनाया : कोशल, विन्ध्य के घने जंगलों से प्राच्छादित दुर्गम एवं भयावह महाकान्तार - जहां वाकाटकों का शक्तिशाली सामन्त व्याघ्र राज्य करता था, कौराल ( कोलेर झील एवं मध्यप्रदेश के वर्तमान सोनपुर जिले के आसपास का राज्य जहां मन्तराज का शासन था ), विष्टपुर ( महेन्द्रगिरि का राज्य ), कोटूरा ( विजगापट्टम अथवा गंजम जिला ), काञ्ची ( जहां का राजा विष्णुगोप था ), अवमुक्त (जहां नीलराज का राज्य था ), वेगी ( हस्तिवर्मन का राज्य ), पलक्क ( संभवतः वर्तमान नेल्लोर जिला, जहां उग्रसेन का राज्य था ), देवराष्ट्र (कलिंग प्रान्तवर्ती राज्य, जहां उस समय कुबेर नामक राजा का राज्य था ) और कुश्थलपुर ( कुशस्थली नदी का निकटवर्ती राज्य, जहां उस समय धनंजय नामक राजा का राज्य था ) । ' दक्षिणापथ के उपरोक्त विजय अभियान का उल्लेख करते हुए हरिषेण ने इलाहाबाद स्थित उपरिचर्चित स्तम्भलेख में यह भी बताया है कि समुद्रगुप्त ने १ - १ उद्वेलोदितवाहुवीर्य रभसादेकेन येन क्षरणा दुन्मूल्याच्युतनागसेन । [ इलाहाबाद स्तम्भलेख ] तस्य विविध समरशतावत ररण्दक्षस्य स्वभुजबलपराक्रमं कबन्धो, पराक्रमांकस्य परशुशरशंकुशक्तिप्रासासितोमर भिन्दिपालनाराचवैतस्तिकाद्यनेकप्रहरणविरूढा कुलव्रणशतांकशोभासमुदयोपचितकान्ततरवर्ष्मणः कौशलक - महेन्द्र-महाकान्तारक व्याघ्रराज - कैरल कमण्टराजपुर महेन्द्रगिरकोट्ट रकस्वामिदत्तैरण्डपल्ल कदमनकांचेयक विष्णुगोपावमुक्त नीलराजहस्तिव मंगलकोग्रसेन देवराष्ट्रक कुबेरकौस्थलपुरकधनंजय प्रभृति सर्वदक्षिणापथराजग्रहण मोक्षानुग्रहजनितप्रतापोन्मिश्रमहाभाग्यस्य । [ इलाहाबाद स्थित अशोक स्तम्भ के अधोभाग पर अंकित समुद्रगुप्त का लेख ] For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002072
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2001
Total Pages984
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Pattavali
File Size19 MB
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