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________________ ૪૭૨ प्रा. लि. का. राजवंश ] दशपूर्वघर-काल : भायं बलिस्सह खारवेल ने कुमारगिरि पर श्रमरणसंघ प्रादि चतुविध संघ को एकत्रित कर द्वादशांगी के पाठों को सुव्यवस्थित करवाया होगा । श्रागम-वाचनार्थ आयोजित उपरोक्त सम्मेलन में 'हिमवन्त स्थविरावली के उल्लेखानुसार वाचनाचार्य प्रार्य बलिस्सह भी सम्मिलित थे । इस प्रकार के उल्लेख से यह प्रकट होता है कि प्रार्य बलिस्सह का वाचनाचार्यकाल वीर नि० सं० २४५ से ३२७-३२६ तक रहा। जब तक अन्य प्रकार का कोई उल्लेख उपलब्ध न हो तब तक हिमवन्त स्थविरावली के उपरिउद्धृत उल्लेख को अप्रामाणिक मानने का कोई कारण दृष्टिगोचर नहीं होता। ऐसी स्थिति में श्रार्य बलिस्ह की पूर्ण श्रायु कम से कम १०५ वर्ष होना अनुमानित किया जा सकता है । उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विचार किया जाय तो भार्य बलिस्सह के वाचनाचार्यकाल में निम्नलिखित प्रमुख राजाओं का राज्यकाल होना अनुमानित किया जाता है : --- १. मौर्य सम्राट् बिन्दुसार के वीर नि० सं० २३३ से २५८ तक के २५ वर्ष के राज्यकाल में से १३ वर्ष ( वीर नि० सं० २४५ से २५८ तक ) का राज्यकाल । २. मौर्य सम्राट् अशोक का वीर नि० सं० २५८ से २८३ तक राज्यकाल । ३. मौर्यसम्राट् सम्प्रति का वीर नि० सं० २८३ से २९३ तक का शासनकाल । उसमें से प्रथम दो वर्ष पाटलिपुत्र में प्रौर शेष ६ वर्ष उज्जयिनी में । ४. जैन परम्परानुसार पुण्यरथ और वृहद्रथ तथा हिन्दू पौराणिक परम्परानुसार शालिक, देववर्मा, शतधनुष और वृहद्रथ का अनुमानतः वीर निर्वाण सं० २९३ से ३२३ तक राज्यकाल । मौर्य सम्राट् सम्प्रति के पश्चात् इन राजाधों का उज्जयिनी पर भी अधिकार रहा । ५. कलिंग में भिक्खुराय प्रपरनाम महामेघवाहन तथा खारवेल' का जैसा कि प्रागे बताया जायगा, अनुमानतः वीर नि० सं० ३१६ से ३२९ तक का शासनकाल । ६. पुष्यमित्र के वीर नि० सं० ३२२ से ३५२ तक के ३० वर्ष के शासनकाल में से वीर नि० सं० ३२७-३२६ के बीच तक का काल । पुष्यमित्र की राजधानी भी पाटलिपुत्र में रही प्रौर उज्जयिनी का राज्य भी इसके अधीन रहा । • तस्स रणं भिक्खुरायणिस्स तिष्णि णामधिज्जे एवमाहिज्जेति । एवं गं ग्गिंठालं भिक्खुणं भतिं कुणमारणो भिम्बुरावति । दुब्वं गं गिव पुम्ववारणुगय महामेहरणामधिज्ज गयवाहणलाए महामेहबाहयति। तीयं णं तस्स सावरत रावहासीताए सारखेला हिवति । [हिमवन्त-स्थविरावली ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002072
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2001
Total Pages984
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Pattavali
File Size19 MB
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