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________________ ५१० ५२६ ५३१ ५३८ ५३८ वाचनाचार्य समुद्र (१५ वें पट्टधर) कालकाचार्य (द्वितीय) पंचमी के स्थान पर चतुर्थी का पर्वाराधन कालकाचार्य (द्वितीय) स्वर्णभूमि में ५२१ आचार्य वृद्धवादी और सिद्धसेन ५२३. आर्य खपुट आर्य रेवतीमित्र (युगप्रधानाचार्य) ५३१ आर्य समुद्र के समय राजवंश वाचनाचार्य मंगू (१६ वें पट्टधर) आर्य धर्म युगप्रधानाचार्य ... . ५३५ आर्य सिंहगिरि-गणाचार्य आर्य समित आर्य धनगिरि आर्य अर्हद्दत्त .. आर्य मंगू के समय के राजवंश हिमवन्त स्थविरावलीकार और विक्रमादित्य ५४१ वाचनाचार्य नन्दिल (१७ वें पट्टधर) आर्य भद्रगुप्त युगप्रधानाचार्य गणाचार्य ५५२ वाचनाचार्य नागहस्ती (१८ वें पट्टधर) ५५२ आर्य पादलिप्त मुरुण्डराज की बहिन द्वारा जैन श्रमणी-दीक्षा मुरुण्डकाल में धार्मिक कटुता ५६० आर्य श्रीगुप्त युगप्रधानाचार्य छठा निन्हव रोहगुप्त ५६२ आर्य वज्रस्वामी ५६६ आर्य वज्र की प्रतिभा और विनयशीलता दिगम्बर परम्परा में वज्रमुनि दशपूर्वधर-विषयक दिगम्बर मान्यता आ. नागहस्ती एवं आ. वज्र के समय की राजनैतिक स्थिति ... ५८६ ५. सामान्य पूर्वधरकाल ५८७ वाचनाचार्य रेवतीनक्षत्र (१६३ पट्टधर) ५८६ रेवतीमित्र युगप्रधानाचार्य आर्य रक्षित युगप्रधानाचार्य अनुयोगों का पृथक्करण आर्यरथ गणाचार्य सातवां निन्हव गोष्ठा माहिल ५६८ १ देखिये प्रस्तुत ग्रन्थ के पृष्ठ ४७२ का टिप्पण। ५६१ . . ५७३ ५८२ ५८५ ५६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002072
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2001
Total Pages984
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Pattavali
File Size19 MB
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