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भ्रम ]
भगवान् महावीर
को लेकर सर्वप्रथम डॉक्टर हर्मन जैकोबी को भ्रम उत्पन्न हुआ और उन्होंने आचारांग के अंग्रेजी अनुवाद में यह मत प्रकट करने का प्रयास किया कि इन शब्दों का अर्थ मांस ही प्रतिध्वनित होता है। जैन समाज द्वारा हर्मन जैकोबी की इस मान्यता का डट कर उग्र विरोध किया गया और अनेक शास्त्रीय प्रमाण उनके समक्ष रखे गये। उन प्रमारणों से हर्मन जैकोबी की शंका दूर हुई और उन्होंने अपने दिनांक २४-२-२८ के पत्र में अपनी भूल स्वीकार करते हुए आचारांग सूत्र के उक्त पाठ को उदाहरणपरक माना । श्री हीरालाल रसिकलाल rasया ने 'हिस्ट्री आफ कैनानिकल लिटरेचर आव जैनाज' में डॉक्टर जैकोबी के उक्त पत्र का उल्लेख किया है जो इस प्रकार है :
There he has said that 'बहु प्रट्ठिएण मंसेण वा मच्छेग वा बहुकण्टर' has been used in the metaphorical sense as can be seen from the illustration of नान्तरीयकत्व given by Patanjali in discussing a Vartika at Panini (III, 3, 9 ) and from Vachaspati's com. oh Nyayasutra (iv, 1, 54). He has concluded: "This meaning of the passage is therefore, that a monk should not accept in alms any substance of which only a part can be eaten and a greater part must be rejected,"
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जिस भक्ष्य पदार्थ का बहुत बड़ा भाग खाने के काम में न आने के कारण त्याग कर डालना पड़े उसके साथ नान्स रोवकत्व भाव धारण करने वाली वस्तु के रूप में उदाहरणपरक मत्स्य शब्द का प्रयोग किया गया है, क्योंकि मत्स्य के काँटों को बाहर ही डालना पड़ता है । डॉ० हरमन जैकोबी ने नान्तरीयकत्व भाव के रूप में उपर्युक्त पाठ को माना है ।
आचारांग सूत्र के उपर्युक्त पाठ का और अधिक स्पष्टीकरण करते हुए डॉक्टर स्टेन कोनो ने डॉक्टर वाल्थेर शूविंग द्वारा जर्मन भाषा में लिखी गई पुस्तक 'दाई लेह देर जैनाज' की आलोचना में लिखा था :
"I shall mention only one detail, because the common European view has here been largely resented by the Jainas. The mention of Bahuasthiyamansa and Bahukantakamachha 'meat' or 'fish' with many bones in Acharanga has usually been interpreted so as to imply that it was in olden times, allowed to eat meat and fish, and this interpretation is given on p. 137, in the Review of Philosophy and Religion,
१ देखिये - भगवान् महावीर का सिन्धु-सौवीर की राजधानी वीतभया नगरी की ओर विहार ।
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