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जैन धर्म का मौलिक इतिहास
[जन्मस्थान
क्षत्रियकुडपुर भी आता है । वास्तव में बात यह है कि दोनों स्थानों में कोई मौलिक अन्तर नहीं है । कुण्डपुर के ही उत्तर भाग को क्षत्रियकुड और दक्षिण भाग को ब्राह्मणकड कहा गया है। आचारांग सूत्र से भी यह प्रमाणित होता हैं कि वहाँ दक्षिण में ब्राह्मणकुड सन्निवेश और उत्तर में क्षत्रियक डपुर सन्निवेश था।'क्षत्रियकड में "ज्ञात" क्षत्रिय रहते थे, इस कारण बौद्ध ग्रन्थों में "ज्ञातिक" ग्रंथवा "नातिक" नाम से भी इसका उल्लेख किया गया है। ज्ञातियों की बस्ती होने से इसको ज्ञातग्राम भी कहा गया है। "ज्ञातक" की अवस्थिति 'वज्जी' देश के अन्तर्गत वैशाली और कोटिग्राम के बीच बताई गई है। उनके अनुसार कुडपुर क्षत्रियकुड अथवा "ज्ञातृक" वज्जि विदेह देश के अन्तर्गत था। महापरिनिव्वान सुत्त के चीनी संस्करण में इस नातिक की स्थिति और भी स्पष्ट कर दी गई है। वहाँ इसे वैशाली से सात ली अर्थात् १३ मील दूर बताया गया है।
वैशाली आजकल बिहार प्रान्त के मुजफ्फरपुर (तिरहुत) डिविजन में 'वनियां वसाढ़' के नाम से प्रसिद्ध है और वसाढ़ के निकट जो वासुकूड है, वहाँ पर प्राचीन कुडपुर की स्थिति बताई जाती है।
उपर्युक्त प्रमाणों और ऐतिहासिक आधारों से यह स्पष्ट हो जाता है कि भगवान् महावीर का जन्म वैशाली के कुडपुर (क्षत्रियकुड) सन्निवेश में हुआ था । यह 'कुडपुर" वैशाली का उपनगर नहीं, किन्तु एक स्वतन्त्र नगर था। .
महावीर के मातापिता
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ज्ञात-वंशीय महाराज सिद्धार्थ भगवान महावीर के पिता और महारानी त्रिशला माता थीं। डॉ० हार्नेल और जैकोबी सिद्धार्थ को राजा न मान कर एक प्रतिष्ठित उमराव या सरदार मानते हैं, जो कि शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर उपयुक्त नहीं जंचता । शास्त्रों में भगवान् महावीर को महान् राजा के कुल का कहा गया है। यदि सिद्धार्थ साधारण क्षत्रिय सरदार मात्र होते तो राजा शब्द का प्रयोग उनके लिए नहीं किया जाता। १ दाहिण माहणकुपुर सन्निवेसामो उत्तर खत्तिय कुडपुर सग्निवेसंसि नायाणं खत्तियाणं
सिद्धत्थस्स....।।प्राचा० भावना म० १५ २ (क) Sino Indian Studies vol. I, part 4, page 195, July 1945. (ख) Comparative studies "The parinivvan Sutta and its Chinese
version, by Faub. (ग) ली, दूरी नापने का एक पैमाना है । कनिंघम के अनुसार १ ली ११५ मील के
बराबर होती है । एन्सियेन्ट जोग्राफी माफ इण्डिया।
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