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________________ ३८० ३८० ३८१ ३८२ ३८३ ३८४ ३६३ .... ३९८ ४०१ ४०७ ४०८ ४१० ४१० ४१२ .००० .... ४१६ ४२५ .... केवलज्ञान समवसरण और प्रथम देशना तीर्थ-स्थापना राजीमती की प्रव्रज्या रथनेमि का प्राकर्षण अरिष्टनेमि द्वारा अद्भुत रहस्य का उद्घाटन क्षमामूर्ति महामुनि गज सुकुमाल . गज सुकुमाल के लिए कृष्ण की जिज्ञासा नेमिनाथ के मुनिसंघ में सर्वोत्कृष्ट मुनि भगवान् अरिष्टनेमि के समय का महान् आश्चर्य द्वारिका का भविष्य द्वारिका के रक्षार्थ मद्य-निषेध श्री कृष्ण द्वारा रक्षा के उपाय श्री कृष्ण की चिन्ता और प्रभु द्वारा प्राश्वासन द्वैपायन द्वारा द्वारिका-दाह बलदेव की विरक्ति और कठोर संयम-साधना ... महामुनि यावच्चापुत्र परिष्टनेमि का द्वारिका-विहार और भव्यों का उद्धार पाण्डवों का वैराग्य पोर मुक्ति धर्म-परिवार परिनिर्वाण ऐतिहासिक परिपावं वैदिक साहित्य में अरिष्टनेमि और उनका वंश-वर्णन वंशवृक्ष-जैन परम्परा वंशवक्ष-वैदिक परम्परा यादव वंशवृक्ष, हर्यश्व ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती प्राचीन इतिहास की एक भग्न कड़ी भगवान् श्री पावनाय : भगवान् पार्श्वनाथ के पूर्व धार्मिक स्थिति पूर्वभव की साधना । । विविध प्रन्यों में पूर्वभव जन्म और माता-पिता वंश एवं कुल, नामकरण बाल-लीला पावं की वीरता और विवाह .... ४२७ ४२८ .... ४२८ ४३१ 0000 .... ૪૩૪ ४३५ ४३५ | WWW ४७० . ... ४७६ ४७७ ४८० ४८१ ४८२ ४८३ ४८३ xii Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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