________________
३२८ : जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय क्र०सं० तत्त्वार्थसूत्र एवं तत्त्वार्थभाष्य षट्खण्डागम ज्ञाताधर्मकथा और तत्त्वार्थसूत्र की
(यापनीय परंपरा) आवश्यकनियुक्ति दिगम्बर टीकाएँ
(श्वेताम्बर परंपरा) १. दर्शन विशुद्धि दर्शन विशुद्धि दर्शनविशुद्धता दर्शननिरतिचारिता २. विनय सम्पन्नता विनय सम्पन्नता विनय सम्पन्नता विनयनिरतिचारिता ३. शीलवतानतिचार शीलवतानतिचार शोलव्रतनिरति- शीलव्रतनिरति
चारिता चारिता ४. अभीक्ष्णज्ञानोपयोग अभीक्षण अभीक्ष्ण-अभीक्ष्ण अभीक्ष्णज्ञानोपयोग
ज्ञानोपयोग ज्ञानोपयोगयुक्तता ५. संवेग
संवेग
लब्धिसंवेग
संपन्नता ६. शक्त्यानुसार त्याग शक्त्यानुसार त्याग साधु प्रासुक त्याग
परित्यागता ७. शक्त्यानुसार तप शक्त्यानुसार तप यथाशक्ति तप तप ८. साधु समाधि साधु समाधि साधु समाधि समाधि
संधारणता ९. वैय्यावृत्यकरण .. वैय्यावृत्यकरण साधु वैयावृत्य- वेयावृत्य
योगयुक्तता १०. अर्हत् भक्ति अर्हत् भक्ति अरहन्त भक्ति अरहन्त वत्सलता ११. आचार्य भक्ति आचार्य भक्ति x
गुरु वत्सलता। १२. बहुश्रुत भक्ति बहुश्रुत भक्ति बहुश्रुत भक्ति बहुश्रुत वत्सलता .१३. प्रवचन भक्ति प्रवचन भक्ति प्रवचन भक्ति श्रुत भक्ति १४. आवश्यकापरिहाणि आवश्यकापरिहाणि आवश्यकापरि- आवश्यकनिरति
होनता
चारिता १५. मार्ग-प्रभावना मार्ग-प्रभावना मार्ग-प्रभावना प्रवचन प्रभावना १६. प्रवचनवत्सलत्व प्रवचन वत्सलता प्रवचन वत्सलता प्रवचन वात्सल्य १७. x
क्षणलव प्रतिबो- क्षणलव प्रतिधनता
बोधनता १८. वृद्ध वत्सलता
स्थविर वत्सलता
सिद्ध वत्सलता तपस्वी वत्सलता
तपस्वी वत्सलता २१. x
अपूर्व ज्ञान ग्रहण २२. x बाल वत्सलता
शैक्षवत्सलता २४. ४ ग्लान वत्सलता
x
x xxx xxx x
xx xx xxx
xxx
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org