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लेखक
___डॉ. सागरमल जैन का जन्म मध्यप्रदेश के शाजापुर नगर में सन् १९३२ में हुआ था। सन् १९६३ में आप एम० ए० ( दर्शनशास्त्र ) करने के पश्चात् १९६४ से मध्यप्रदेश शासकीय महाविद्यालय में प्रवक्ता पद पर
कार्यरत हो गये । १९६९ में आपने 'जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन' जैसे गम्भीर विषय पर पी-एच० डी० की। १९.४ से १९७९ तक लगातार शिक्षण कार्य करने के पश्चात् १९७९ में आपको पाश्र्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक पद हेतु आमन्त्रित किया गया जिसकी आपने सहर्ष स्वीकृति दे दी। तब से आप पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक पद को सुशोभित कर रहे हैं।
आपने लगभग २० स्वतन्त्र ग्रन्थों का प्रणयन तथा ६० से भी अधिक ग्रन्थों का कुशल सम्पादन किया है । २० छात्र अब तक आपके निर्देशन में पी-एच० डी० प्राप्त कर चुके हैं। आपके अनेकों शोध-पत्र देश-विदेश के विभिन्न-पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। जैन साहित्य की विशिष्ट सेवाओं के लिए आपको अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें डिप्टीमल पुरस्कार, प्रणवानन्द दर्शन पुरस्कार, आचार्य हस्तीमल पुरस्कार एवं रामपुरिया पुरस्कार मुख्य हैं । अखिल भारतीय जैन विद्वत् परिषद् के आप संस्थापक रहे हैं। १९८५ एवं १९९३ में आपको विश्वधर्म संसद शिकागो में जैन धर्म के प्रतिनिधि प्रवक्ता के रूप में आमन्त्रित किया गया। आज भी प्रतिवर्ष जैन धर्म-दर्शन पर विशिष्ट व्याख्यान हेतु आपको अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में आमन्त्रित किया जाता है।
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