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सम्बन्धभूत कृदन्त
प्रेरक धातु
से प्रत्यय
हास + अ = हासिअ हासेअ । हास + तूण ( ऊण) = हासिऊण, हासिऊणं । हास + तुआण = हासिउआण, हासिउआणं । हास + इत्ता हासित्ता, हासेत्ता हास + तुं (उ ं) == हासिउ, हासेउ ।
प्रयोग वाक्य
मज्झ भाअरस्स पत्तं अज्ज आगमिस्सइ । पत्तालयं गच्छऊण पास मज्झत्तं अत्थन वा । पमुहपत्तालयं जाऊणं पत्तालयाहीसं कह मज्झ पासलो कत्थ लुत्तो (खोगया) । पत्तवाहओ पत्ताई दाउ गामे गामे गच्छइ । पत्तालयाferral पाओ पत्तालयम्मि समय चिअ आगच्छइ । आवेदृणे किं लिहिअमत्थि को वि न जाणइ ? तस्स माआए पासे पइमासं धणाएसेण रोवगा ( रुपया) आ यान्ति । तुमं पासले किं पेसिस्ससि ? पंजिआइ चे रोवगा पेसेज्ज तया वरं । तुरिअसूअओ कओ आगओ ? तुमं तुरिअसूअणालयं गच्छिऊण सव्वत्थ तुरिअसूअणं देहि जं आयरिएण अम्हाणं णयरे चउमासो कहिओ । धातु प्रयोग
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अहं तु पासिऊण अइपसन्नोमि । तुमं पुराणपाढं सुमरिऊण अग्गं पाढं पढसु । सो उवएसं दाऊण विरमीअ । तुलसीसाहणासिहरं ठाऊण अम्हे बहुसुंदर दिस्सं पेच्छामो । ते बारवई दट्ठूण महाविज्जालयं उवागया । लाडनूं गच्छिकण, सुहम्माए सहाए साहुणो आयरियं वदिऊणं णियतठाणेसु उवविसंति । तुमं पत्तं लिहिऊण कं दास्ससि ? पण्हं पुच्छिऊण सो संतुट्ठो जाओ। तुमं मज्झ गिहे भोयणं भुंजिऊण सगामं गच्छसु ।
अव्यय प्रयोग
सोवीसुं दुही अत्थि । किं तुमं णिच्च पाढं पढसि ? जहा सुहं तहा कर । तुमं गच्छ णो चेअ सो गमिस्सइ । आइच्चो णिच्चं अत्थं भवइ । तुज्झ कल्लाणं अत्थु ।
प्राकृत में अनुवाद करो
तुम्हारा पत्र बहुत समय से नहीं आया है । पारमार्थिक शिक्षण संस्था में लेटर वक्स नहीं है । मेरा भाई प्रतिदिन पत्र लाने पोस्ट आफिस जाता है । पोस्ट मास्टर आज कहां गया है ? डाकघर में पत्र आते हैं । महानगरों में ast sthaर भी होता है । सुधांशु बडे डाकघर में काम करता है । डाकिया घर-घर में जाकर उनका पत्र आदि देता है । आज रमेश का मनीआर्डर कहां से आया है ? पार्सल से आंख की दवा सीता को भेज दो । रजिष्ट्री से वस्तु भेजने पर उसकी सुरक्षा का भार भेजने वाले पर नहीं रहता । तार देकर मोहन को बुलाओ कि तुम्हारी माता बीमार है । तारघर में इतने आदमी
क्यों आए हैं ?
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