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________________ प्रकृतिभात्र संधि दीवअस्स को उवओगो ? दीवगम्मि वत्ती कहं नत्थि ? तुम खल्ले कि पीससि ? उद्धमाणे दुद्ध खिप्पं उण्हं भवइ । कि सा दोणीए पइदिणं व्हाइ ? पातु प्रयोग सा मूसलेण किं कुट्टइ ? माआ किमटै संठी (संठ) घरसइ ? मोहणो णियपुत्ताण अंबा (आम) पेसइ । सो घडं छाअइ। साहू णियट्ठाणं सयं संमज्जइ । कि तुमं कंबलं उवजुजसि ? सोहणो दुद्धम्मि नीरं मेलवइ । सासू वहुं सासइ-दुद्ध उण्ह कर। अव्यय प्रयोग तुम तहिं गच्छ इहरा अहं गच्छामि । जया तुम तहिं गमिहिसि तए अहमवि गमिस्सामि । झाणे तस्स दर उग्घाडियाई नयणाई अत्थि । णवरं अहं गच्छामि प्राकृत में अनुवाद करो . __गांवों में बहिनें आजकल भी मूसल से बाजरी (बज्जरी) कूटती है । खाली ऊंखली क्या काम आती है ? कुछ वर्ष पहले घर-घर में चक्की चलती थी। हीरा लोढी से मीर्च पीसती है। घर में सिला कहां है ? चालनी में पानी क्यों नहीं ठहरता है ? झाड़ के बिना घर की सफाई नहीं होती। वह छाज से चावल साफ करती है । अपना पुराना छाज किसके पास है ? मशहरी के बिना भी मैं सुख से सोता हूं। बोरा में गेहूं कितने हैं ? रस्सी का उपयोग घर में कितना है ? खरल में औषधि (ओसहि) कौन पीसता है ? लालटेन सब के घर में नहीं है । दीपावली में दीए घर-घर में जलते हैं । बत्ती के बिना दीया दीया नहीं है । वर्तन में गर्म पानी है । छींका पर क्या वस्तु है ? आजकल घर-घर में स्टोव है। गांव में टब किसके पास है। धातु का प्रयोग करो रमिला प्रतिदिन क्या कटती है ? वह सिला पर क्या रगडती है ? सुसीला घर में हर वस्तु को शुद्ध करती है। तुम गर्म पानी को क्यों नहीं ढांकते हो? तुम्हारे घर को कौन बुहारता है ? वह पुराने छाज को भी काम में लेता है । वह अपने सोने (सुवण्णं) को अच्छे मूल्य में बेचता है । आजकल छोटा आदमी बडों को हुक्म देता है । अव्यय का योग कर प्र तुम स्कूल जाओ नहीं तो अध्ययन नहीं होगा । मैं खाना खा रहा था तब तुम कहां थे? मैं वहां कभी नहीं जाऊंगा। कमल थोडा खिला हुआ है। वह केवल पानी पीता है । जैसा गुरु कहे उस तरह (वैसा) करो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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