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प्राकृत वाक्यरचना बोध
(४६) पज्झंश (७२) रा. संकोच करना-संकुच (१०) (८३) रुञ्ज, रुण्ट, रव
. संमिल्ल (६४)
संकोच पाना--देखो, संकुचित होना शपथ खाना-साव (१८)
संख्या करना-कल (४६) शरमाना-लज्ज (८४) देखो लज्जा संग करना-लग्ग (८४) करना
संगत करना-पघोल (६६) शांत होना-परिणब्वा (१८) पडिसा, अभिड, संगच्छ (१०६) परिसाम, सम (१०६)
संगत होना-संगच्छ (६५) शाप के बदले शाप देना-पडिसव
संग्रह करना-संचिण (६६)
संघर्ष करना-संघस (६५) शाप देना-सव (५२) पडिकोस
संतप्त होना-झंख, संतप्प (१०५)
संतुष्ट होना-तूस (५१) थेप्प शिक्षा देना-सिक्ख (१०)
(५६) थिप्प (१०५) शुद्ध करना-सोह (१७)
संदेश देना-अप्पाह, संदिस (१०६) शुद्ध होना-सुन्झ (६३) .
संन्यास लेना-अभिनिक्खम (३१) शुद्धि करना-आयाम (४३) सोह।
संपत्ति युक्त करना-खउर (४७) (६४) .
संपन्न होना---संपज्ज (२४) शेखी मारना-पगब्भ (२५)
संपूर्ण प्रयत्न करना--पडिअज्जम शोक करना-सोअ (६४) शोभना-सोह (६४) भास |
संबद्ध करना-संजोअ (६६) (१०७)
संभालना-रक्ख (२६) पडिअग्ग शोभाना-सोभ (६४) सोह (६४) शौच करना -आयाम (४३)
संभावना करना-आसंघ (६८) श्रद्धा करना—सद्दह (१००)
संभोग करना-रम (८२) श्रम करना-वावंफ (१०१) श्लाघा करना-कत्थ (४५) पकत्थ ।
संयम करना-संजम (२६)
संयुक्त करना-जुंज (२७) संजोस श्लेष करना-रा (८३) लस (८५) (६६)
संशय करना-विअप्प (५०) संक संकलना करना-संकल (२४) (६५) संकुचित करना—संकोअ (६४) संस्कार डालना-वास (६०) संकुचित होना-कूण (४७) संस्पर्श करना-संफुस (३६) संकेत करना-संकेअ (६५) संहार करना-संहर (२८)
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