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________________ प्राकृत वाक्यरचना बोध वांस-वंसो तली--तेल्लिओ, घंचिओ वृत्तिजीवीवर्ग (पाठ ७३ ७ ७६) दर्जी--सूइयारो, सोचिओ धोबी-रजओ अहीर-अहिरो, गोवालो नाई--णाविओ, पहाविओ कंबल बेचने वाला-कंबलिओ नाचनेवाला-णच्चओ कसाई-सोणिओ नौकर-सेवगो, भिच्चो कारीगर-सिप्पी, कारु पसारी-गंधिओ किसान-किसीवालो पाकिट मार—छेओ कुंभार----कुंभआरो, कुलालो प्रतिमा बनाने वाला-पडिमायारो गडरिया- अयाजीवो, अयापालो, बजाने वाला- वायगो मेसवालो बढई-रहयारो, वड्ढई, तक्खो गवैया-गायओ, गाओ बनिया-वणिओ, वावारि () घसियारा--तणहारो चपरासी-पेसो भंगी-संमज्जओ चटाई बनाने वाला----वरुडो भडभुंजा--भट्ठयारो चिकित्सक-चिइच्छओ। मच्छीमार-केवट्टो, धीवरो चित्रकार-चित्रयारो मजदूर (कुली)-~-भारहरो चुराई वस्तु को खोजकर लाने वाला माली--मालिओ, मालायारो, --कवियो आरंभिओ मिस्त्री-जंतिओ चोर-चोरो, तक्करो चौकीदार-पहरी, दारवालो मूल्य लेकर धान काटने वालाजादूगर-इंदजालियो अत्यारिओ जारपुरुष-अणडो (दे०) मोची-चम्मयारो, मोचिओ जासूस--चरो शिकारी-लुद्धो जिल्दसाज-पोत्थारो रंडीबाज-खिगो जुलाहा--कोलिओ, पडयारो रसोइया-पाचओ, सूदो जुवारी-कितवो लुहार-लोहारो, लोहयारो ज्योतिषी-~-जोइसिओ, खणदो (सं) वैद्य-वेज्जो ठग-वंचओ, पतारगो संपेरा--आहिडिओ ठठेरा-तंबकुट्टओ सुनार--सुवण्णयारो, सोवण्णिओ डाकू-दस्सू (पुं) सुराविक्रेता--- सुंडिओ, सोंडिओ साइक्लीनर-णिण्णेजओ (सं) हलवाई-कांदविभो तंबोली-तंबोलिओ हिंजडा-चिंधपुरिसो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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