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प्राकृत वाक्यरचना बोध
हसियिदा, हसियिउ हसियिअ, हसियिआ, हसि यिअई, हसि यिआई
हसियिअ, हसियिआ ७. स्वरान्त दा (दा) के भाव कर्म के रूप
दा-- इज्ज - दाइज्ज । दा-+-इय=दाइय। दाइज्ज और दाइय के सब कालों के रूप होसज्ज और हसिय के समान होते हैं। स्वरान्त सभी धातुओं के रूप भावकर्म में हसिज्ज और हसिप के समान चलते हैं। ८. प्रेरक धातु (भिन्नत) से भावकर्म के रूप ० प्रेरक धातु+भावकर्म के प्रत्यय - काल बोधक प्रत्यय =प्रेरक
(जिन्नन्त) से भाव कर्म के रूप । ० कर, करावि+इज्ज, इय (भावकर्म प्रत्यय)+इ आदि (वर्तमानकाल के प्रथम पुरुष एकवचन के प्रत्यय)=कराविज्जइ, करावियइ। कराविज्ज (कार्य) अंग के वर्तमानकाल के रूप एकदचन
__ बहुवचन प्र०पु० कराविज्जइ, कराविज्जए कराविजहिं, कराविज्जिन्ति
कराविज्जन्ते म०पु० कराविज्जहि, कराविज्जसि कराविज्जहु, कराविज्जह कराविज्जसे
कराविज्जित्था उ०पु० कराविज्ज कराविज्जमि कराविज्जहुं, कराविज्जम कराविज्जामि, कराविज्जेमि कराविज्जाम, कराविज्जिम
कराविज्जेम, कराविज्जमु कराविज्जामु, कराविज्जिमु कराविज्जेमु, कराविज्जमो कराविज्जामो, कराविज्जिमो
कराविज्जेमो कराविय (कार्य) अंग के वर्तमानकाल के रूप एकवचन
बहुवचन प्र० पु० करावियइ, करावियए करावियहि, करावियन्ति, करावियन्ते म०पु० करावियहि, करावियसि करावियहु, करावियह, करावियित्था उ०पु० कराविय, करावियमि करावियहुं, करावियम, करावियाम करावियामि, करावियेमि करावियिम, करावियेम, करावियमु .
करावियामु, करावियिमु, करावियेमु करावियमो, करावियामो, करावियिमो करावियेमो
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