________________
परिशिष्ट ३ अपभ्रंश शब्द रूपावलि
० शब्द का अन्त्य स्वर दीर्घ हो तो ह्रस्व और ह्रस्व हो तो दीर्घ हो जाता है। उन रूपों में कोई विभक्ति नहीं लगती, जैसा शब्द होता है उसी रूप में रहता है । १ अकारान्त पुंलिंग जिण (जिन) शब्द एकवचन
बहुवचन प्र० जिण, जिणा, जिणु, जिणो जिण, जिणा द्वि० जिण, जिणा, जिणु
जिण, जिणा तृ० जिणेण, जिणेणं, जिणे
जिण हिं, जिणाहिं, जिणेहि पं० जिणहे, जिणाहे, जिणहु, जिणाहु जिणहुं, जिणाहं च०/५० जिण, जिणा, जिणसु जिण, जिणा, जिणहं, जिणाहं
जिणासु, जिणहो, जिणाहो, जिणस्सु स० जिणि, जिणे
जिणहिं, जिणाहिं सं० जिण, जिणा, जिणु, जिणो जिण, जिणा, जिणहो, जिणाहो २ इकारान्त पुंलिंग मुणि (मुनि) शब्द एकवचन
बहुवचन प्र० मुणि, मुणी
मुणि, मुणी द्वि० मुणि, मुणी
मुणि, मुणी तृ० मुणिएं, मुणीएं, मुणि, मुणीं मुणिहिं, मुणीहिं
मुणिण, मुणीण, मुणिणं, मुणीणं पं० मुणिहे, मुणीहे
मुणिहुं, मुणीहुं च०/५० मुणि, मुणी
मुणि, मुणी, मुणिहं, मुणीहं
मुणिहुँ, मुणीहुं स० मुणिहि, मुणीहि
मुणिहिं, मुणीहिं, मुणिहुं, मुणीहुं सं० मुणि, मुणी
मुणि, मुणी, मुणिहो, मुणीहो ३ ईकारान्त पुंलिंग गामणी (ग्रामणी) शब्द एकवचन
बहुवचन प्र० गामणी, गामणि
गामणी, गामणि द्वि० गामणी, गामणि
गामणी, गामणि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org