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परिशिष्ट २
हसावि-हास (हस्-हास्य) प्रेरकाङ्गस्य भावे कर्मणि च
क्रियातिपत्त्यर्थ रूपाणि
पुंलिग एकवचन
बहुवचन हसावि-हसाविन्तो, हसाविमाणो हसाविन्ता, हसाविमाणा हास --- हासन्तो, हाासेन्तो हासन्ता, हासेन्ता, हासिन्ता हासिन्तो
स्त्रीलिग एकवचन
बहवचन हसावि- हसाविन्ती, हसाविमाणी हसाविन्तीओ, हसाविमाणीओ हास --- हासन्ती, हासेन्ती, हासिन्ती हासन्तीओ, हासेन्तीओ हासमाणी, हासेमाणी हासिन्तीओ, हासमाणीओ
हासेमाणीओ
नपुंसकलिग हसावि-हसाविन्तं, हसाविमाणं हसाविन्ताई, हसाविमाणाई हास --हासन्तं, हासेन्तं, हासिन्तं हासन्ताई, हासेन्ताई, हासिन्ताई हासमाणं, हासेमाणं हासमाणाइं, हासेमाणाई
ज्ज-ज्जा प्रत्यये रूपाणि
सर्वपुरुषेषु-सर्ववचन हसावि-हसाविज्ज, हसाविज्जा हास --- हासेज्ज, हासेज्जा होआवीअ-होआविज्ज-होईअ-होइज्ज (भू-भाव्य) अंगस्य
भावे कर्मणि च वर्तमानकाल रूपाणि एकवचन
बहुवचन प्र.पु. होआवीअ--होआवीअइ होआवीअन्ति-न्ते, होआवीइरे
होआवीएइ होआवीएन्ति-न्ते, होआवीएइरे होआवीअए
होआवीइन्ति-न्ते, होआवीअइरे होआविज्ज-होआविज्जइ होआविज्जन्ति-न्ते, होआविज्जिरे
होआविज्जेइ होआविज्जेन्ति-न्ते, होआविज्जेइरे
होआविज्जए होआविज्जिन्ति-न्ते, होआविज्जइरे होईअ-- हो ईअइ, होईएइ होईअन्ति-न्ते, होईइरे होईअए
होइएन्ति-न्ते, होईएइरे होईइन्ति-न्ते, होईअइरे
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