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परिशिष्ट १
पंलिगाः शब्दाः
अकारान्त जिण (जिन)शब्द
एकवचन
बहुवचन प्र० जिणो (जिणे)
जिणा द्वि० जिणं
जिणा, जिणे तृ० जिणेण, जिणेणं
जिणेहि, जिणेहिं, जिणे हिं पं० जिणत्तो, जिणाओ, जिणाउ जिणत्तो, जिणाओ, जिणाउ जिणाहि, जिणाहितो, जिणा जिणाहि, जिणेहि, जिणाहितो, जिणेहितो,
जिणासुंतो, जिणेसुंतो च०, १० जिणस्स
जिणाण, जिणाणं स० जिणे (जिणंसि ) जिणम्मि जिणेसु, जिणेसुं सं० हे जिण, हे जिणो, हे जिणा हे जिणा
वीर, वच्छ, राम, देव, सावग आदि सभी अकारान्त पुंलिंग शब्दों के रूप जिण शब्द की तरह चलते हैं।
(कोष्ठक में दिए गए रूप आर्ष रूप हैं)।
आकारान्त गोवा (गोपा) शब्द
एकवचन प्र० गोवो द्वि० गोवा तृ० गोवाण, गोवाणं पं० गोवत्तो, गोवाओ, गोवाउ,
गोवाहितो च०, ष० गोवस्स स० गोवम्मि सं० हे गोवो, हे गोवा
बहुवचन गोवा गोवा गोवाहि, गोवाहि, गोवाहिँ गोवत्तो, गोवाओ, गोवाउ, गोवाहितो, गोवासुतो गोवाण, गोवाणं गोवासु, गोवासु हे गोवा
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