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________________ क्रियातिपत्ति शब्द संग्रह (शरीर के अंग-उपांग ५) मांस-मंसं चर्वी-मेदो, मेदं, वसा मज्जा-मज्जा . खून-रत्तं, अहिरं पीव-किलेओ, पूर्व नस-सिरा तिल्ली, प्लीहा-पिलिहा। झिल्ली--झिल्लिा फेफडा-फुप्फुसं (दे.) आंत-अंतं मसामसो हड्डी-अत्थि (न) वीर्य (शुक्र)--वीरिओ तिल-तिलो। उपासना-उवासणं अभाव-अहावो, अभावो तो-ता गड्ढा-खड्डं पाचन-पायणं धातु संग्रह पजल-विशेष जलना पज्जुवट्ठा-~-उपस्थित होना पजह-त्याग करना पज्जुवास-सेवा करना, भक्ति करना पज्ज-पिलाना, पान करना पज्जोय--प्रकाशित करना पज्जाल-जलाना, सुलगाना पज्जोसव-वास करना, रहना आयण्ण-सुनना पज्झंझ-शब्द करना क्रियातिपत्ति क्रिया की अतिपत्ति (असंभवता) । जहां एक काम के न होने में भविष्य में होने वाले दूसरे कार्य का अभाव दिखाना हो वहां क्रियातिपत्ति का प्रयोग किया जाता है। क्रियातिपत्ति का अर्थ है---एक क्रिया के हए बिना दूसरी क्रिया का न होना । जैसे ---यदि अच्छी वर्षा होती तो सुकाल होता। यदि तुम पढते तो उत्तीर्ण हो जाते । यदि तुम मुनि दुलहराज के पास रहते तो पढ जाते । नियम ६१३ (क्रियातिपत्तेः ३।१७६) क्रियातिपत्ति में प्रत्ययों को ज्ज और ज्जा आदेश होता है। नियम ६१२ (न्त-माणो ३।१८०)क्रियातिपत्ति में प्रत्ययों को न्त और माण आदेश होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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