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वाच्य
वाच्य-जो हम कहना चाहते हैं उसे वाच्य कहा जाता है।
उसके तीन प्रकार हैं-(१) कर्तवाच्य (२) कर्मवाच्य (३) भाव'वाच्य।
कर्तवाच्य में कर्ता प्रधान होता है, कर्म गौण रहता है। कर्मवाच्य में कर्म प्रधान होता है, कर्ता गौण रहता है। भाववाच्य में क्रिया प्रधान होती है, कर्ता और कर्म गौण रहते हैं।
अपने भावों को कहने के लिए इन तीन वाच्यों में से एक वाच्य का माध्यम लेना होता है । किस वाच्य को हम महत्त्व दें यह हमारी विवक्षा या भावना पर निर्भर है । इस पाठ में कर्तृवाच्य पर विचार करते हैं। कर्मवाच्य और भाववाच्य पर आगे के पाठों में विचार करेंगे।
____अपने भावों की अभिव्यक्ति के लिए हमें शब्दों का सहारा लेना होता है। शब्दों के समूह को वाक्य कहते हैं। वाक्य में कम से कम एक कर्ता और एक क्रिया होती है। केवल कर्ता से वाक्य नहीं बनता और केवल क्रिया से वाक्य नहीं बनता। कभी-कभी बातचीत के प्रसंग में केवल एक कर्ता या केवल एक क्रिया का प्रयोग भी होता है। जैसे--रमेश ने सुरेश से कहा--कौन पढता है ? उसने उत्तर दिया-मैं। यहां केवल कर्ता का प्रयोग है, क्रिया का नहीं । पूरा वाक्य था--मैं पढता हूं।
संक्षेप में कहने से क्रिया का प्रयोग नहीं होता। कर्ता के साथ क्रिया का निश्चित सम्बन्ध होने के कारण 'मैं' कर्ता के साथ उत्तम पुरुष की क्रिया स्वयं आ जाती है। इसी प्रकार केवल क्रिया का भी बातचीत में व्यवहार होता है। विमल और रवीन्द्र दुकान पर जाने के लिए बातचीत कर रहे थे। विमल ने पूछा-गया नहीं। रवीन्द्र ने उत्तर दिया--जाता हूं। यहां प्रश्न और उत्तर दोनों में कर्ता नहीं है। पूरा वाक्य था-कोई गया नहीं। उत्तर था-मैं जाता हूं। यहां कोई और मैं का प्रयोग नहीं किया गया है। यहां कर्ता का अध्याहार किया जाएगा। सामान्यतया वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया होती है। विस्तार करें तो वाक्य में कर्ता के साथ कर्म, साधन, संप्रदान, अपादान, सम्बन्ध और आधार इनका भी प्रयोग किया जा सकता है। कर्ता आदि के विशेषणों का भी प्रयोग किया जा सकता है । और अधिक स्पष्टता के लिए निम्नलिखित वाक्य पढें ।
१. राम जाता है। राम कर्ता है, जाता है क्रिया। २. मनीषा पुस्तक
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