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________________ प्राकृत वाक्यरचना बोध सहस्साई (दश सहस्राणि) दस हजार । अउअ, अयुअ, अयुत (अयुत) दस हजार । लक्खो, लक्खं (लक्ष) लाख । दसलक्ख, दहलक्ख, पउअ, पउत, पयुअ (प्रयुत) दस लाख । कोटि (कोटि) करोड । कोडाकोडि (कोटिकोटि) करोड से करोड गुणा करने पर जो संख्या आए वह । असंख, असंखिज्ज (वि) (असंख्येय) असंख्येय । अणंत (अनन्त) अनन्त । सामान्यत: संख्यावाची शब्द एकवचन में प्रयुक्त होते हैं । जैसे, वीसा मणुस्सा । इसको दूसरे प्रकार से भी प्रयुक्त कर सकते हैं---मणुस्साणं वीसा । मनुष्यों की बीस संख्या है । संख्यावाचक शब्द जब अपनी-अपनी संख्या सूचित करते हैं तब वे एक वचन में प्रयुक्त होते हैं। जैसे-बीस, तीस, चालीस । जब वे बहुत बीस, बहुत तीस आदि बहुतता बताते हैं तब वे बहुवचन में आते जा सहस वाक्य प्रयोग एगोहं नत्थि मे कोवि । चत्तारि कसाया दुक्खाई देंति। तीसे तिण्णि पुत्ता छ बाला य संति । रमेसस्स गिहे अठारह घेणुओ पणवीसा महिसा पणपण्णा उट्टा आसि । अमुम्मि गामे असीई गेहा संति । धणस्स कोडीए वि संतोसो न होइ । तस्स आवणे वत्थाण सत्तरी दीसइ । तास परिवारे सट्ठी लोआ संति । सो अउअंधारेइ । अमुम्मि नयरे वीसा महापहा सत्तरी वीहिओ य संति। कम्मि णयरे कोडिपुरिसा संति ? जो सहस्सं सहस्साणं, संगामे दुज्जये जये। एगं जिणेज्ज अप्पाणं, एस से परमो जओ। प्राकृत में अनुवाद करो एक वर्ष में बारह महीने होते हैं। एक मास में तीस दिन होते हैं। आचार्य तुलसी की आज्ञा में सात सौ से अधिक साधु-साध्वियां हैं। प्राचीन-. काल में पुरुष ७२ कलाएं और स्त्री चौसठ कलाएं सीखती थीं। तुमने गुरु से तेतीस प्रश्न पूछे थे। पाली चतुर्मास में ३१ साधु और ३० साध्वियां थीं। इस शहर में १ लाख १० हजार आदमी रहते हैं। कलकत्ता की जनसंख्या प्रायः एक करोड है । इस सरकार में ३५ मंत्री हैं। इस परिवार में ४० सदस्य हैं। नक्षत्र २७ होते हैं। राशियों की संख्या १२ है। सात वार सात ग्रहों पर आधारित हैं। मैं दिन में एक वार शौच जाता हूं। तेरापंथ का प्रारंभ दी सौ तीस वर्ष पहले हुआ था। जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर हैं। भगवान महावीर के ग्यारह गणधर थे । चौवालीस वर्ष पूर्व मेरी दीक्षा हुई थी। प्रश्न १. संख्यावाची शब्द किसे कहते हैं ? २. संख्यावाची शब्दों का प्रयोग किस लिंग में होता है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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