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STUDIES IN JAINISM
अपेक्षा का आश्रय लेकर विरोधी धर्मों का एक धर्म में प्रतिपादन नहीं करता । नय का स्वभाव है - एक धर्मों में जो परस्पर विरोधी धर्म हैं, उनका वह अपेक्षा के द्वारा प्रतिपादन करता है । इस विशेष स्वरूप के कारण श्रुत प्रमाण के अंदर समावेश हो सकने पर भी नयों का निर्देश भिन्न रूप से हुआ है ।
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