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________________ ८४२ भगवती आराधना ____ 'वैरं रदणेसु जधा' यथा रत्नेषु वज्रं गन्धद्रव्येषु गोशीर्ष चन्दनं । मणिषु वैडूर्यमिव क्षपकस्य ध्यानं सर्वेषु दर्शनचरित्रतपस्सु सारभूतं ॥१८९०॥ झाणं किलेससावदरक्खा रक्खाव सावदभयम्मि । झाणं किलेसवसणे मित्तं मित्तेव वसणम्मि ॥१८९१॥ 'झाणं किलेससापदरक्खा' ध्यानं दुःखश्वापदानां रक्षा, श्वापदभये रक्षेव ध्यानं क्लेशव्यसने मित्रं, : व्यसने मित्रमिव ॥१८९१॥ ज्झाणं कसायवादे गब्भधरं मारुदेव गम्भघरं । झाणं कसायउण्हे छाही छाहीव उण्हम्मि ॥१८९२।। झाणं कसायडाहे होदि वरदहो दहोव डाहम्मि । झाणं कसायसीदे अग्गी अग्गीव सीदम्मि ॥१८९३॥ झाणं कसायपरचक्कभए बलवाहणड्डओ राया । परचक्कभए बलवाहणड्डओ होइ जह राया ॥१८९४॥ झाणं कसायरोगेसु होदि वेज्जो तिगिंछदे कुसलो । रोगेसु जहा वेज्जो पुरिसस्स तिगिंछओ कुसलो ॥१८९५॥ झाणं विसयछुहाए होइ य छुहाए अण्णं वा । झाणं विसयतिसाए उदयं उदयं व तण्हाए ॥१८९६।। स्पष्टार्थोत्तरगाथा ॥१८९२।।१८९३॥१८९४।।१८९५।।१८९६॥ गा०-जैसे रत्नोंमें हीरा, सुगन्धित द्रव्योंमें गोशीर्ष चन्दन और मणियोंमें वैडूर्यमणि सारभृत है । वैसे ही क्षपकके दर्शन चारित्र और तपमें ध्यान सारभूत है ॥१८९०॥ गा०-जैसे हिंसक जन्तुओंसे भय होने पर उनसे रक्षा वचाव करती है वैसे ही ध्यान दुःखरूपी हिंसक जन्तुओंसे रक्षा करता है। तथा जैसे संकट में मित्र सहायक होता है वैसे ही दुःखरूपी संकट में ध्यान सहायक होता है ।।१८९१॥ _गा०-जैसे गर्भगृह वायुसे रक्षा करता है वैसे ही ध्यान कषायरूपी वायुके लिये गर्भगृह है। जैसे घामसे बचनेके लिये छाया है वैसे ही कषायरूपी घामसे बचावके लिये ध्यान छायाके समान है ॥१८९२॥ ___ गा०-जैसे दाहके लिये उत्तम सरोवर है वैसे ही कषायरूप दाहके लिये ध्यान उत्तम सरोवर है । जैसे शीतसे बचावके लिये आग है वैसे कषायरूपी शीतसे बचावके लिये ध्यान आग के समान है ॥१८८३।। गा०-जैसे सेना और वाहनोंसे समृद्ध राजा शत्रु सेनाके आक्रमणके भयसे रक्षा करता है वैसे ही कषायरूपी शत्रु सेनाका भय दूर करनेके लिये ध्यान बल वाहनसे समृद्ध राजाके समान है ।।१८९४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001987
Book TitleBhagavati Aradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivarya Acharya
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2004
Total Pages1020
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Religion
File Size23 MB
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