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विषयानुक्रम
पृ. संख्या प्रथम अध्याय : विषय प्रवेश
1-22 द्वितीय अध्याय : आगम साहित्य की रूपरेखा
23-80 आगम की परिभाषा ( 2 3 - 2 4); जैन आगमों का उद्भव ( 2 4 - 2 5); आगम वाचना (2 6 - 29); आगम-विच्छेद क्रम ( 3 0 - 3 1 ); आगमों का वर्गीकरण ( 3 1 - 3 2); पूर्व साहित्य (32-33); अंगप्रविष्ट एवं अंगबाह्य (33-61); मूल एवं छेदसूत्र (6263); आगमों की संख्या (63); दस प्रकीर्णक (64) आगम के कर्ता (64-65); आगम स्वीकृति का मानदण्ड (65); आगम का प्रामाण्य (65-66); आगमों का अनुयोग में विभक्तिकरण (66); आगमों की भाषा (66 - 6 8 ); आगमों का व्याख्या साहित्य (68-71); दिगम्बर आम्नाय मान्य आगम (71-74); जैन आगमों का आधुनिक सम्पादन, अनुवाद एवं भाष्य (75); पाश्चात्य विद्वान् (75-77); भारतीय विद्वान् (77-80) तृतीय अध्याय : तत्त्व-मीमांसा
81-140 त्रिपदी में अन्तर्निहित अनेकान्त (82); अनेकान्त के अभाव में आचार की अनुपपन्नता (82); अनेकान्त का आधार अनुभव का प्रामाण्य (82); प्रमाण-मीमांसा की आधारभृमि नयवाद (83); पञ्चविध ज्ञान विचारणा (83) द्रव्यमीमांसा-अनेकान्त और वस्तुवाद (84); जैन दर्शन का द्वैतवाद (84-86); जगत का मूल कारण (86-87); वेदों में जगत् के मूलकारण की खोज(87); उपनिषद् में विश्वकारणता (87-89); यूनानी दार्शनिकों का मन्तव्य (89) जैन आगमों में विश्व (89-90); जैन दर्शन में लोक-अलोक का आकार (90-93); लोक की अवस्थिति (93-94); विश्व-व्यवस्था के सार्वभौम नियम (94-95); लोक के घटक तत्त्व (95-96); भगवान महावीर की मौलिक अवधारणा (9 6 - 97); प्रदेश और परमाणु (97-98); अस्तिकाय प्रदेशात्मक (98); अस्तिकाय
(vii)
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